बीजिंग। अमेरिका ने वर्ष 1989 में बीजिंग के थियामेन चौराहे पर हुए छात्र नेतृत्व वाले प्रदर्शन के दमन में मारे गये लोगों का आंकड़ा सार्वजिनिक किये जाने का आग्रह किया है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पेओं ने रविवार को जारी बयान में कहा, 'नरसंहार में निर्दोष लोगों की मौत दुखद है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साथ मिलकर चीन सरकार से अपील करते है कि वह नरसंहार में मारे गये, हिरासत में लिए गये और लापता हुए लोगों के विस्तृत आंकड़े पेश करे।'
गौरतलब है कि चीन सरकार ने 04 जून 1989 को हुए इस प्रदर्शन के दमन के लिए सैन्य टैंकों का इस्तेमाल किया था और इस दमनात्मक कार्रवाई में हुई मौतों का आंकड़ा कभी जारी नहीं किया। मानवाधिकार समूहों और प्रत्यक्षदर्शियों के आकलन के अनुसार इसमें सैंकड़ों से लेकर हजारों लोग मारे गये थे। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही चीन की मीडिया में इस दिन का कोई जिक्र है।
थियानमेन नरसंहार चीन में पिछले 29 वर्षों से एक वर्जित विषय बना हुआ है। यह चीन और कई पश्चिमी देशों के बीच विवाद का भी विषय है। पोम्पेओ ने पिछले वर्ष चीन की हिरासत में मारे गये विद्रोही नेता लिउ शिआबो का हवाला देते हुए कहा, 'शिआबो ने वर्ष 2010 के अपने नोबेल पुरस्कार भाषण में लिखा कि चार जून का भूत अभी तक शांत नहीं हुआ है।' यह भाषण उनकी अनुपस्थित में पढ़ा गया। इस नरसंहार की बरसी पर हांगकांग में हजारों लोगों के इकट्ठा होने की उम्मीद है। इसके मद्देनजर थियानमेन चौराहे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हंै। यहां किसी तरह के प्रदर्शन या कार्यक्रम की उम्मीद नहीं है।
चीन के समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्म के संपादक हु शी जिन ने ट्विटर पर लिखा कि '1989 के प्रदर्शनकारियों ने अपना लक्ष्य हासिल नहीं किया। उस आंदोलन से क्या हासिल किया गया, उसकी बरसी मनाकर इसका अहसास कर पाना असंभव है।'