चेन्नई। तमिलनाडु और पुड्डूचेरी के पूर्वी तट पर गहरे पानी में मछली पकड़ने पर कल रात से शुरू हुए 61 दिवसीय वार्षिक प्रतिबंध को देखते हुए मछली की कीमतों में इजाफा होने की आशंका है। यह प्रतिबंध 15 जून तक प्रभावी रहेगा और इस दौरान 5600 बड़ी मशीनी नौकाएं राज्य के 13 तटीय जिलों में मछली पकडने संबंधी गतिविधियों के लिए गहरे पानी में उतर नहीं पाएंगी। इस आदेश का उल्लंघन करने पर तमिलनाडु राज्य मछली नियामक कानून 1983 की धारा पांच के तहत कार्रवाई की जाएगी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस अवधि में पांरपरिक तरीके और एफआरपी नौकाओं के जरिए मछली पकडने पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा क्योंकि ये लोग समुद्र में केवल तीन से चार किलोमीटर समुद्री मील तक ही जा सकते हैं। प्रतिबंध अवधि तक प्रत्येक मछुआरे के परिवार को पांच हजार प्रति माह की सहायता दी जाएगी। राज्य में 1Þ 6 लाख मछुआरे हैं।
दरअसल यह प्रतिबंध प्रतिवर्ष लगाया जाता है क्योंकि गर्मियों के सीजन में गहरे पानी में मछलियों का प्रजनन काल होता है और बड़ी मशीनी नौकाओं के इन क्षेत्रों में जाने से इन्हें काफी दिक्कतें आती हैं और उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं। इस प्रतिबंध के दौरान समुद्र की परिस्थितिकी में भी काफी सुधार हो जाता है। इस अवधि में लकड़ी की नौकाओं अथवा फाइबर से बनी नौकाओं में समुद्र में जाकर मछली पकडने पर प्रतिबंध नहीं है।
इस प्रतिबंध को सफल बनाने के लिए विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों की मदद ली जाती है और नौसेना के अलावा तट रक्षक बल भी इन नौकाओं पर नजर रखते हैं। प्रतिबंध अवधि में मछलियों की मंडियों में आवक कम होने से इनकी कीमतों में काफी इजाफा हो जाता है।