दमिश्क। गृहयुद्ध की आग में जल रहे सीरिया में अब शांति की उम्मीद बंधती नजर आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि बहुत जल्द अमेरिकी फौज यहां से लौट जाएगी। अमेरिका को लेकर सीरिया अक्सर आरोप लगाता रहा है कि वह यहां आतंकियों और सरकार के विद्रोहियों को फंडिंग व हथियार देकर मदद कर रहा है। इतना ही नहीं सीरिया का यह भी आरोप है कि अमेरिकी फौज यहां हमला कर बेगुनाहों को मौत के घाट उतार रही है।
सीरिया में वर्षों से तितरफा जंग लड़ी जा रही है। इसमें सीरियाई फौज का साथ रूस दे रहा है। वहीं अमेरिका और सरकार के विद्रोही दूसरी तरफ मोर्चे पर हैं। तीसरी तरफ आतंकी हैं। इस तितरफा लड़ाई में हर रोज सैकड़ों लोगों की जान जा रही है। इसी माह पूर्वी घौटा में हुई बमबारी में सैकड़ों लोगों की जान गई, जिनमें अधिकतर बच्चे और महिलाएं शामिल थीं। अमेरिका को पहले से ही सीरिया की शांति में सबसे बड़ा रोड़ा माना जाता रहा है, लेकिन अब उसके यहां से पीछे हटने की ट्रंप की घोषणा के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि सीरिया में शांति स्थापित करने की राह खुल सकती है।
खुद अपनी परेशानियों को हल करे सीरिया
ट्रंप ने ओहियो में हुई एक रैली में सीरिया से हटने की घोषणा करते हुए यह भी कहा है कि अब सीरिया के लोग खुद अपनी परेशानियों को हल करेंगे। उन्होंने कहा मिडिल ईस्ट में अमेरिका अब तक खरबों रुपए खर्च कर चुका है, लेकिन बदले में कुछ नहीं मिला। हालांकि उन्होंने अपने भाषण के दौरान यह स्पष्ट नहीं किया कि अमेरिकी फौज की सीरिया से रवानगी कब से शुरू होगी। सीरिया पर की गई इस बड़ी घोषणा के अलावा उन्होंने कुख्यात आतंकी संगठन आईएस के खिलाफ छेड़े गए वायुसेना के आॅपरेशन को भी रोक दिया है।