बीजिंग। करीब 58 सालों से निर्वासित जीवन बिता रहे तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने वापस अपने देश तिब्बत लौटने की इच्छा जताई है। दलाई लामा ने अपनी इच्छा जाहिर कर हुए कहा है कि तिब्बत उसी तरह चीन के साथ रह सकता है जिस तरह यूरोपीय यूनियन के देश एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वह अपनी मातृभूमि के लिए स्वतंत्रता नहीं बल्कि स्वायत्तता चाहते हैं।
82 वर्षीय दलाई लामा ने इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत की 30वीं वर्षगांठ के मौके पर गुरुवार को एक वीडियो संदेश में कहा तिब्बत लौटने की अपनी इच्छा का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं यूरोपीय यूनियन की भावना की सदैव प्रशंसा करता हूं। किसी एक के राष्ट्रीय हित की अपेक्षा साझा हित ज्यादा महत्वूपर्ण है। इस तरह की अवधारणा के साथ मैं पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ रहने के लिए बेहद ख्वाहिशमंद हूं।'
बता दें कि चीनी शासन के खिलाफ एक क्रांति विफल होने के बाद दलाई लामा को 1959 में तिब्बत छोड़ना पड़ा था। वहां से भारत आने के बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार स्थापित की। इस घटना के नौ साल पहले ही चीन की सेना ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। वहीं दलाई लामा को भी चीन सरकार ने अलगावादी करार देते हुए विदेशी नेताओं से भी न मिलने की चेतावनी जारी की है।