बीजिंग। दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा को लेकर भारत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराने के कुछ ही दिन बाद चीन ने पहली बार इस राज्य के छह स्थानों के मानकीकृत आधिकारिक नामों की घोषणा कर दी है और पहले से जोखिमपूर्ण चल रही स्थिति को और अधिक नाजुक बना दिया है।
सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य इस राज्य पर चीन के दावे को दोहराना था। चीन इस राज्य को दक्षिण तिब्बत कहता है।
रोमन वर्णों का इस्तेमाल कर रखे गए छह स्थानों के नाम वोग्यैनलिंग, मिला री, कोईदेंगारबो री, मेनकुका, बूमो ला और नमकापब री है। भारत और चीन की सीमा पर 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद का विषय है।
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कहता है जबकि भारत का कहना है कि विवादित क्षेत्र अक्साई चीन क्षेत्र है, जिसे चीन ने वर्ष 1962 के युद्ध में कब्जा लिया था। चीन के इस हालिया कदम से कुछ ही दिन पहले दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की थी। यह यात्रा उनके तवांग के रास्ते तिब्बत छोड़ने और भारत में शरण लेने के बाद सातवीं यात्रा थी।
81 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता की यात्रा के दौरान चीन ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता और हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा।
अखबार के अनुसार, छह स्थानों के नामों के मानकीकरण पर टिप्पणी करते हुए चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम विवादित क्षेत्र में देश की क्षेत्रीय संप्रभुता को सुनिश्चित करने के उठाया गया है।
बीजिंग की मिंजू यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में एथनिक स्टडीज के प्रोफेसर जियोंग कुनजिन के हवाले से कहा गया, मानकीकरण का यह कदम एक ऐसे समय पर उठाया गया है, जब दक्षिण तिब्बत के भूगोल को लेकर चीन की समक्ष और इसके प्रति मान्यता बढ़ रही है। स्थानों के नाम तय करना दक्षिण तिब्बत में चीन की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि की दिशा में उठाया गया कदम है।