पेशावर। पाकिस्तान की राष्ट्रीय जनगणना में सिखों को शामिल नहीं किया गया है। शनिवार को पेशावर में सिख समुदाय के नेताओं और सदस्यों ने सरकार के इस फैसले पर निराशा जताई है। इनका कहना है कि 19 साल बाद देश में हो रही जनगणना में शामिल न किया जाना उनके प्रतिनिधित्व को नकारना है।
सिख समुदाय के चेयरमैन रादेश सिंह टोनी ने पाकिस्तानी अखबार डॉन से कहा कि संबंधित विभाग ने सिख अल्पसंख्यकों को जनगणना में शामिल नहीं किया है। यह न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि हमारे समुदाय के लिए चिंता का विषय है। उनका कहना है कि पाकिस्तान में बड़ी संख्या में सिख रह रहे हैं, लेकिन इस समुदाय को जनगणना फॉर्म की रिलीजियस कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस फॉर्म में सिखों की गिनती ‘अदर’ रिलीजन कैटेगरी में की जाएगी, जो कि सिख जनसंख्या की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह अन्याय है। हमें हमारे अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
पाकिस्तान में हैं करीब 20000 सिख
1947 में बंटवारे के दौरान ज्यादातर सिख पाकिस्तान से भारत आ गए थे। फिलहाल पाकिस्तान में 20000 सिख रह रहे हैं। ज्यादातर देश के उत्तर-दक्षिण क्षेत्र में रहते हैं, जो एक दशक से आतंकियों के निशाने पर है। आतंकवाद के कारण बड़ी संख्या में सिखों को अफगानिस्तान के आदिवासी इलाके से पेशावर शिफ्ट होना पड़ा है।