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नगालैंड में भड़की हिंसा, सरकारी दफ्तर और CM का घर फूंका, सेना बुलाई गई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 2 2017 8:59PM | Updated Date: Feb 4 2017 11:02PM
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कोहिमा। नगालैंड में शहरी निकाय चुनाव में महिलाओं के आरक्षण की मांग को लेकर कोहिमा में जारी प्रदर्शन गुरुवार को हिंसा में तब्‍दील हो गया। हजारों लोगों ने सचिवालय की तरफ मार्च किया। नगर पालिका परिषद और जिला कमिश्‍नर के दफ्तरों को आग लगा दी गई। अन्‍य सरकारी दफ्तरों में भी तोड़फोड़ की गई और दीमापुर में CM का घर आग हवाले कर दिया गया।

मंगलवार को नगालैंड के दिमापुर और लोंगलेंग जिलों में पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़पों में दो लोगों की मौत हो गयी थी और कई लोग घायल हो गए थे जबकि लोगों ने सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया था। उसी दिन कुछ जिलों में शहरी निकाय चुनाव हुए थे, हालांकि निर्वाचन आयोग ने सात शहरी निकायों में होने वाले चुनाव को दो महीने के लिए स्थगित करने के संबंध में सोमवार को ही अधिसूचना जारी की थी।
 
मंगलवार आधी रात से ही प्रदेश में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी थी। कुछ आदिवासी संगठनों ने चुनाव का विरोध करते हुए जिलों में बंद का आह्वान किया था। उधर नगालैंड ट्राइब्स एक्शन समिति (एनटीएसी) ने शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनाव में संघर्ष में दो युवकों की मौत के बाद मुख्यमंत्री टीआर जेलिआंग और उनकी कैबिनेट का गुरुवार शाम चार बजे तक इस्तीफा मांगा था। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को दिमापुर में पुलिस गोलीमारी में मारे गए दो युवकों के शव बुधवार शाम यहां पहुंचने के बाद यहां लगातार दूसरे दिन भी तनाव बना हुआ है।
 
मृतकों को शहीदों का दर्जा दिया
फायरिंग के दौरान मारे गए लोगों के नाम खरिएसाविजो अवीजो मेहता और बेंदंगनुंगसांग बताए जा रहे हैं। इन्हें नगा शहीदों का दर्जा दिया गया है। एनटीएसी के प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों ने नगा अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दी। एनटीएसी ने उन पुलिस अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है जो इस फायरिंग के दौरान मौजूद थे।
 
क्यों हो रहा है प्रदर्शन
ट्राइबल ग्रुप लोकल इलेक्शन में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा करने से महिलाओं और पुरुषों के बीच चली आ रही पारंपरिक व्यवस्था पर असर पड़ेगा। ट्राइबल ग्रुप्स का कहना है कि नगालैंड में जनजातियों को विशेषाधिकार मिले हैं और ऐसा फैसला उनके मामलों में दखल की तरह है। रिजर्वेशन के विरोध मे पूरे नगालैंड में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
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