न्यू यॉर्क। आॅनलाइन रीडर्स पोल जीतने के बावजूद भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ‘टाइम पर्सन आॅफ द ईयर’ का खिताब नहीं जीत पाए। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने यह खिताब जीता है। अगर मोदी जीत जाते तो यह खिताब पाने वाले दूसरे भारतीय बन जाते। इससे पहले 1930 में गांधीजी को टाइम पर्सन आॅफ द ईयर चुना गया था।
ट्रंप ने कहा- यह बेहद सम्मान की बात है, मेरे लिए यह बहुत मायने रखता है। मैगजीन ने अपने अगले संस्करण के कवर पेज में ट्रंप को ‘प्रेसीडेंट आॅफ द डिवाइडेड स्टेट्स आॅफ अमेरिका’ करार दिया है। टाइम मैगजीन ने ट्रंप को ‘पर्सन आॅफ द ईयर’ चुने जाने के बारे में लिखा कि एक सरकार विरोधी शख्स और लोकप्रिय उम्मीदवार के तौर पर अभियान चलाने के बाद ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। उन्होंने चुनाव जीतकर अपने अभियान को जोरदार ढंग से पूरा किया ।
टुडे शो पोल में पिछड़े मोदी
मोदी रीडर्स पोल में बाजी मार चुके थे। उन्हें सबसे ज्यादा 18 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि मोदी टुडे शो पोल में पिछड़ रहे थे। टाइम मैगजीन की ओर से हर साल खबरों पर अच्छा या बुरा असर डालने वालों में से किसी शख्स या ग्रुप को यह अवॉर्ड दिया जाता है।
मोदी के लिए पत्रिका ने यह कहा था
भारत के पीएम देश की इकोनॉमी को ऐसी स्थिति में ले गए हैं, जो उभरते बाजार के तौर पर सबसे पॉजिटिव स्टोरी है।
चौथी बार दावेदार बने मोदी
मोदी लगातार चौथी बार खिताब के दावेदारों में शामिल हुए थे। वे रीडर्स की आॅनलाइन वोटिंग में दूसरी बार जीते थे। 2014 में उन्हें 50 लाख में से 16 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन तब इबोला फाइटर्स को यह खिताब दिया गया था। 2015 में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को खिताब मिला।
89 साल से दिया जा रहा यह अवॉर्ड
- टाइम पर्सन आॅफ द ईयर का अवॉर्ड 1927 से दिया जा रहा है।
- इसमें ऐसे शख्स या ग्रुप को चुना जाता है, जिसने पूरे सालभर खबरों पर सबसे ज्यादा असर डाला है।
- यह असर अच्छा या बुरा कैसा भी हो सकता है। इसमें राष्टÑपति से लेकर प्रदर्शनकारी, अंतरिक्ष यात्री से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तक शामिल हो सकते हैं।
- 1999 तक इस अवार्ड को ‘टाइम मैन आॅफ द ईयर’ कहा जाता था।
- 1938 में हिटलर को यह खिताब मिला था।
- 11 बार पर्सन को नहीं मिला अवार्ड
- 11 बार ऐसा भी हुआ है, जब टाइम पर्सन आॅफ द ईयर किसी व्यक्ति को नहीं चुना गया।
- 1982 में कम्प्यूटर को ‘मशीन आॅफ द ईयर’ घोषित किया गया था।
- 1988 में धरती पर मंडराते खतरे की वजह से इसे प्लेनेट आॅफ द ईयर डिक्लेयर किया गया था।
- 1960 में अमेरिकन साइंटिस्ट्स को यह अवार्ड दिया गया।
- 1975 में अमेरिकी महिलाओं को यह अवार्ड दिया गया।
- 2011 में दुनियाभर में विरोध-प्रदर्शन करने वालों को टाइम पर्सन आॅफ द ईयर चुना गया।