लंदन। पृथ्वी से जुड़े एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि पृथ्वी के आंतरिक क्रोड (सबसे भीतरी केंद्रीय हिस्सा) का निर्माण इसके आसपास मौजूद बाहरी क्रोड के पिघले हुए लौहतत्व के ‘जम’ जाने पर, आज से लगभग एक से डेढ़ अरब साल पहले हुआ था।
आंतरिक क्रोड पृथ्वी की सबसे भीतरी परत है और तुलनात्मक रूप से यह हमारे गृह का सबसे हालिया हिस्सा है। हालांकि इसके निर्माण के सटीक समय को स्थापित कर पाना व्यापक वैज्ञानिक बहस का मुद्दा है लेकिन फिर भी आकलनों के अनुसार, इसका निर्माण 50 करोड़ से दो अरब साल पहले की अवधि के आसपास हुआ।
ब्रिटेन की लिवरपूल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं और सहकर्मियों ने प्राचीन आग्नेय चट्टानों के चुंबकीय रिकॉर्डों का आकलन किया और पाया कि एक से डेढ़ अरब साल पहले की अवधि के दौरान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में तेज इजाफा देखा गया।
यह बढ़ा हुआ चुंबकीय क्षेत्र एक तरह से पृथ्वी के केंद्र में ठोस लौहतत्व की पहली मौजूदगी का संकेत है। यह पृथ्वी के इतिहास में एक ऐसा बिंदू है, जिसपर ठोस आंतरिक क्रोड ने बाहरी क्रोड के पिघले हुए स्वरूप से परिवर्तित होते हुए ‘जमना’ शुरू कर दिया।
लिवरपूल के प्राचीन चुंबकत्व विशेषज्ञ और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉक्टर एंडी बिग्गिन ने कहा, यह नतीजे पृथ्वी की आंतरिक संरचना और इसके इतिहास के बारे में हमारी समझ को बदल सकते हैं। यह अध्ययन ‘नेचर’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।