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इंदौर। लोगों के घरों में पड़े गोल्ड के बेहतर निवेश के लिए सरकार जो गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम लाने जा रही, इसमें सरकार गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत केवाईसी नियमों में छूट दे सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस स्कीम में महिलाओं को खास छूट देने का प्रस्ताव है।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत केवाईसी नियमों की सख्ती से छुटकारा मिल सकता है। माना जा रहा कि ग्राहक सामान्य जानकारी देकर सोना जमा कर सकेंगे। सूत्रों की मानें तो गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत शादीशुदा महिलाओं को 500 ग्राम तक सोना जमा करने पर छूट मिल सकती है। वहीं अविवाहित लड़कियों को 250 ग्राम तक सोना जमा करने पर राहत मिल सकती है।
इसके अलावा पुरुषों को 100 ग्राम तक सोना जमा करने पर राहत मिल सकती है, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि सरकार जो गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम लाने जा रही, उसे लेकर वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक में मतभेद शुरू हो गए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक रिजर्व बैंक गोल्ड को बैंक के सीआरआर का हिस्सा बनाने के खिलाफ है और आरबीआई की दलील है कि सोने को सीआरआर का हिस्सा बनाना ठीक नहीं है।
इसे लेकर 28 मई को आरबीआई ने वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखी, लेकिन मोनेटाइजेशन स्कीम में गोल्ड को सीआरआर का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव है। सूत्रों की मानें तो आरबीआई ने वित्त मंत्रालय को बताया है सोने को सीआरआर का हिस्सा बनाए जाने से मोनेटरी पॉलिसी में सीआरआर का असर कम हो जाएगा। साथ ही नकदी के मैनेजमेंट में सीआरआर की भूमिका कम हो जाएगी। इसके अलावा सोने की होर्डिंग और सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलेगा।
आरबीआई के मुताबिक मौजूदा कानून सोने को सीआरआर का हिस्सा बनाने की इजाजत नहीं देता है, ऐसे में आरबीआई ने वित्त मंत्रालय से गुहार लगाई कि सोने को सीआरआर का हिस्सा बनाने के प्रस्ताव को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम से पूरी तरह हटाया जाए। हालांकि आरबीआई सोने को एसएलआर का हिस्सा बनाने पर राजी है। साथ ही आरबीआई गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के बाकी प्रावधानों से भी सहमत है।
दूसरी ओर देशभर के सराफा बाजार में फिलहाल कामकाज बेहद कमजोर बना हुआ है। वैवाहिक लग्न कम होने के कारण गहनों की सेल प्रभावित हुई है। बाजार पूर्णत: अंतरराष्ट्रीय बाजार पर आधारित है। वहां बाजार में सुधार होता है तो स्थानीय बाजार भी सुधर जाता है। इधर, एक व्यापारी का कहना है घरेलू बाजार में अगर सोना 27 हजार के पार जाता है तो ग्राहकी में और कमी देखने को मिलती है। देश में मानसून सक्रिय हो जाता है तो आगे अच्छी ग्राहकी देखने को मिल सकती है।
दस दिन में चांदी 2000 रुपए तक टूटी
चांदी में निवेशकों की बिकवाली के दबाव में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मंदी का वातावरण बना हुआ है। इसके चलते घरेलू बाजार में भी स्टॉकिस्टों की खरीदारी घटने लगी है, जिससे चांदी के दाम धीरे-धीरे घट रहे हैं। 1 जून को इंदौर में चांदी चौरसा (एसए) 38600 रुपए प्रति किलो बिकी थी, जो 11 जून तक घटकर 36600 रुपए रह गई, यानी मात्र दस दिन में चांदी के दाम करीब 2000 रुपए प्रति किलो तक टूट चुके हैं। इन दामों पर भी खरीदारों की रुचि कमजोर है।