लखनऊ। केन्द्र सरकार के 'एक देश एक कर' नीति का हवाला देते हुये उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली उपभोक्ताओं से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तौर पर की जा रही वसूली पर रोक की मांग की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने राज्यसभा सेक्रेटरी जनरल देश दीपक वर्मा से मुलाकात कर कहा कि बिजली कंपनियां अनेकों सेवाओं के मद में उपभोक्ताओं से 18 प्रतिशत शुल्क जीएसटी के तौर पर वसूलती हैं जबकि बिजली के बिल में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी रूपी कर जुड़ा होता है। ऐसे में बिजली क्षेत्र में केन्द्र सरकार के एक देश एक कर की नीति सर्वथा बेमानी है।
उन्होंने कहा कि बिजली की सेवाओं से जीएसटी समाप्त नहीं होने तक परिषद लगातार विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के रूप में राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष लगभग 1500 करोड़ उपभोक्ताओं से कर के रूप में वसूल करती है जबकि बिजली कम्पनियां उपभोक्ताओं के नये कनेक्शन के स्टीमेट, बकाया पर कनेक्शन काटने जोड़ने, प्रोसेसिंग फीस मीटर सम्बन्धी समस्याओं सहित अनेकों सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल करती है। परिषद अध्यक्ष ने वर्मा के सामने यह मुद्दा उठाया कि एक तरफ भारत सरकार द्वारा बिजली के ट्रान्समीशन व वितरण की सेवाएं जीएसटी से मुक्त रखी गयी हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की बिजली कम्पनियाँ अर्थ का अनर्थ लगाकर विजली की अनेकों सेवाओं पर जीएसटी 18 प्रतिशत वसूल कर रही हैं।
वर्मा ने उपभोक्ता परिषद का ज्ञापन लेने के बाद उपभोक्ता परिषद को यह आश्वासन दिया कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में न्याय दिलाने का यथा सम्भव प्रयास किया जायेगा।