लखनऊ। माब लिंचिंग यानी भीड़ तंत्र के जरिये होने वाली आपराधिक घटनाओं पर लगाम कसने के लिये उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक नया कानून अमल में आ सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने नये कानून के सिलसिले में एक प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा है। अगर इस प्रस्ताव में अमल होता है तो मणिपुर के बाद उत्तर प्रदेश ऐसा दूसरा राज्य होगा। हालांकि मध्यप्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों की सरकारे भी इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य विधिक आयोग ने मुख्यमंत्री को भेजी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर समेत कुछ अन्य राज्यों का हवाला देते हुये कहा कि माब लिंचिंग की घटनाओं में हाल के दिनो बढोत्तरी हुयी है जिसमें लगाम कसनी जरूरी है। उन्होने कहा कि उन्मादी हिंसा की घटनाओं में पुलिस भी निशाने पर रहती है और पुलिस को जनता अपना शत्रु समझने लगती है। उन्होने बताया कि माब लिंचिंग को सिर्फ गोवंशीय के संबंध में नहीं समझना चाहिये। उन्मादी भीड़ के निशाने पर प्रेमी युगल, बच्चा चोर,बलात्कारी समेत अन्य तत्व रहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिन पहले मॉब लिंचिंग की घटनाओं को देखते हुए गोवंश मालिकों के लिये गौ सेवा आयोग के प्रमाणपत्र का प्रावधान दिया था जिसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर गोवंश को ले जाता है तो गौ सेवा आयोग उसे प्रमाणपत्र देगा। सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आयोग की ही होगी, ताकि मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को रोका जा सके। योगी ने दो गायों के मालिक किसान को व्यवसायिक इस्तेमाल न होने की दशा में हर गाय के चारे के खर्च के हिसाब से प्रतिदिन 30 रुपये देने का प्रस्ताव दिया था। सभी जिलाधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बेसहारा एवं आवारा पशुओं को गो-संरक्षण केन्द्रों में पहुंचाने के निर्देश भी दिए थे।