नैनीताल। उत्तराखंड से अध्ययन के नाम पर दक्षिण अफ्रीका का दौरा करने वाले राज्य वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दौरा भारी पड़ने लगा है। दौरे के नाम पर हुई वित्तीय अनियमितता के मामले में अदालत के सख्त रूख के बाद दो अधिकारियों एवं एक निजी होटल स्वामी ने चार लाख रुपये से अधिक का ब्याज जमा कर दिया है। यह जानकारी अधिकारियों की ओर से आज अदालत को दी गयी। इसके बाद अदालत ने सरकार को दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ में आज गाजियाबाद निवासी जय प्रकाश डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
याचिककर्ता ने बताया कि नैनीताल के एक निजी होटल एवं प्रदेश के दो वरिष्ठ वनाधिकारियों ने आज अदालत को बताया कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका दौरे के पश्चात सालों बाद लौटाये गये धन पर चार लाख रुपये से अधिक का ब्याज हल्द्वानी स्थित राष्ट्रीय वानिकी संसाधन प्रबंधन केन्द्र में जमा कर दिया है। याचिकाकर्ता ने बताया कि अदालत ने गत 14 फरवरी को इन अधिकारियों एवं होटल मालिक को ब्याज जमा करने के निर्देश दिये थे। उन्होंने बताया कि निजी होटल की ओर से दक्षिण अफ्रीका दौरा आयोजित किया गया जबकि तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक डीवीएस खाती अन्य लोगों के साथ इस दौरे पर गये थे। अदालत ने 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष मयचक्रवृद्धि ब्याज सीएफडी में ब्याज जमा करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने संबंधित पक्षों को इस मामले में जवाब पेश करने को कहा था। डबराल की ओर से पेश जनहित याचिका में कहा गया था कि 2006 में कांग्रेस नेता एवं तत्कालीन वन मंत्री नवप्रभात, तत्कालीन कांग्रेसी विधायक शैलेन्द्र मोहन सिंघल, मुख्य वन संरक्षक डीवीएस खाती एवं राजाजी नेशनल पार्क के निदेशक जीएस पांडे दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गये थे।
दौरे पर जाने के लिये इन्होंने सीएफडी से 20 लाख रुपये की धनराशि आवंटित कर ली थी। अध्ययन के नाम पर हुए इस दौरे पर लगभग सात लाख रुपये की धनराशि खर्च हुई। शेष धनराशि को सीएफडी को नहीं लौटाया गया। याचिकाकर्ता की ओर से आगे बताया गया कि शेष धनराशि किसके पास थी, यह भी नहीं पता चल पाया। इसके बाद 2007 से 2012 के बीच छह किश्तों में शेष राशि जमा की गयी लेकिन किसने धनराशि जमा की यह नहीं पता ? सीएफडी एवं अधिकारियों की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्हें शेष धनराशि के बारे में पता नहीं है। इसके बाद अदालत ने मुख्य वन संरक्षक डीवीएस खाती एवं टूर आयोजित करने वाले निजी होटल को ब्याज जमा की धनराशि जमा करने के निर्देश दिये थे।