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बृजभूमि में रामानन्द जयंती समारोह में प्रवाहित हो रही है आराधना की त्रिवेणी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 22 2019 10:09PM | Updated Date: Jan 22 2019 10:09PM
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मथुरा। यहां पर कन्हैया ने गोपियों से मक्खन और दही दान लिया था उसी स्थान पर तीन लोक की न्यारी मथुरा नगरी में 14 जनवरी से शुरू हुये रामानन्द जयंती समारोह में राम, कृष्ण और भोलेनाथ की आराधना की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। रामानन्द जयन्ती की अध्यक्षता कर रहे पं. राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि 14 जनवरी से प्रारंभ हुए रामानन्द जयंती समारोह में 23 जनवरी को सुन्दरकाण्ड का सस्वर पाठ होगा। 24 जनवरी को संत ब्राह्मण भंडारे से कार्यक्रम का समापन होगा। 
मथुरा नगरी को तीन लोक से न्यारी कहा जाता है क्योंकि जिस प्रकार से 16 कलाओं के अवतार श्रीकृष्ण ने यहां ऐसी ऐसी लीलाएं की जो अकल्पनीय ही नही हैं बल्कि जो सर्वथा एक दूसरे से भिन्न हैं। उसी प्रकार उनके भक्त भी ऐसे ही आयोजन करते हैं जो अकल्पनीय हैं। गोवर्धन में आयोजित रामानन्द जयन्ती में यही भाव दिखाई पड़ रहा है।
जिस प्रकार प्रयागराज में कुंभ के अवसर पर देश विदेश से करोड़ों लोग आकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी पर स्रान कर अपने अंतर्मन को प्रसन्न कर रहे हैं। उसी प्रकार गोवर्धन में रामानन्द आश्रम में आयोजित रामानन्द जयन्ती में राम, कृष्ण और भोलेनाथ की आराधना की जो त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है वह श्रोताओं और दर्शकों के लिए मोक्ष के द्वार खोल रही है।
---कान्हा की लीलाओं का प्रस्तुतिकरण
ब्रज की विभूति शंकरलाल चतुर्वेदी ने बताया कि रामानन्द आश्रम में मनाई जा रही इस जयन्ती में चतुर्वेदी रामलीला महासभा द्वारा रामलीला की जीवन्त प्रस्तुति से जहां वातावरण राममय हो रहा है वहीं राम केवट संवाद, सीताहरण, सीता के वियोग में राम का पशु पक्षियों, भौरों से सीता के बारे में पूछना जैसे प्रसंगों के भावमय प्रस्तुतीकरण से दर्शकों के नेत्र सजल हो रहे हैं। संगीतमय श्रीरामचरित मानस 108 नवान्ह पाठ से तो ऐसा लगता है कि भक्ति कार्यक्रमस्थल पर स्वयं नृत्य कर रही है। उन्होंने बताया कि नित्य आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कान्हा की लीलाओं का प्रस्तुतीकरण, श्रीकृष्ण जन्म पर भोलेनाथ का श्रीकृष्ण से मिलने के लिए जाना और मां यशोदा द्वारा उन्हें श्रीकृष्ण से मिलाने से इंकार करना, जैसे प्रसंग द्वापर का सा वातावरण प्रस्तुत कर रहे हैं। चूंकि यह कार्यक्रम गोवर्धन में दानघाटी मंदिर के निकट ही बड़ी परिक्रमा मार्ग पर हो रहे हैं इसलिए देश के कोने कोने से आने वाले तीर्थयात्री भी इनका आनन्द ले रहे हैं।
 
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