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पहाड़ियों से घिरा हुआ है झीलों का शहर - नैनीताल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 27 2015 1:42PM | Updated Date: Mar 27 2015 1:42PM
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नैनीताल कुमाऊं का सबसे सुंदर हिल स्टेशन है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढके पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा। इसलिए इसे 'झीलों का शहर' भी कहा जाता है। नैनीताल को चाहे जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। इसे भारत का 'लेक डिस्ट्रिक्ट' कहा जाता है, क्योंकि इसकी पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है।
यह आबनूस-पन्ना रुपी नैनीताल (झील) के आसपास चारो तरफ पहाड़ियों से घिरा है। इस शहर का नाम ’नैनी देवी’ को समर्पित मंदिर से मिला, यह समुद्र तल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो देवदार के जंगलों से घिरा हुआ है।
 
नैनीताल को पहचान दिलाने का श्रेय पी बेरून नामक व्‍यक्ति को जाता है जिन्‍होंने 1841 में इसकी स्‍थापना की थी। अंग्रेजी शासन काल में यह अंग्रेजों का ग्रीष्‍मकालीन मुख्‍यालय था। तब से लेकर आज तक यह अपना आकर्षण बरकरार रखे हुए है। गर्मियों में यहां बड़ी संख्‍या में सैलानी आते हैं। यहां की झील, मंदिर, बाजार पर्यटकों को लुभाते हैं।
 
दर्शनीय स्थल
नैनीताल अपने तालों के लिए प्रसिद्ध है। प्रमुख स्थलों में नैनी झील, तल्ली एवं मल्ली ताल और मॉल रोड शामिल हैं। नैनीताल के पर्यटन स्थलों में स्नो व्यू पॉइंट, जहाँ रोप वे से पहुँचा जा सकता है। झील के किनारे स्थित सबसे ऊँची नैनी चोटी, लैंड्स एंड, हनुमान गढ़ी, स्टेट ऑबज़रवेटरी और नैनीताल के लोकप्रिय विहार स्थल शामिल हैं। आस-पास के दर्शनीय स्थलों में सातताल, भीमताल और नौ किनारों वाला नौकुचिया ताल, संरक्षित वन किलबरी, खुरपा ताल, लोकप्रिय आरामगाह भोवाली, ढिकाला स्थित जिम कॉर्बेट संग्रहालय और मुक्तेश्वर, जो हिमालय का मनमोहक दृश्य पेश करता है। यहाँ झील के आस-पास बने शानदार बंगलों और होटलों में रुकने का अपना ही आनन्द है। गर्मियों में यहाँ बड़ी संख्‍या में सैलानी आते हैं। यहाँ की झील, मंदिर, बाज़ार पर्यटकों को लुभाते हैं।
 
 
 
झील
जनपद के पहाड़ी भागों में कई छोटी-बड़ी झीलें स्थित हैं- जिनमें नैनीताल, भीमताल, नौकुचिया ताल, गरुड़ताल, रामताल, सातताल, लक्ष्मणताल, नलदमयंतीताल, सूखाताल, मलवाताल, खुरपाताल, सड़ियाताल आदि हैं।
 
 
 
नैनी झील
 
नैनी झील का नाम देवी नैनी के नाम पर पड़ा है। पर्यटकों के लिए यह सबसे ज़्यादा ख़ूबसूरत जगह है। ख़ासतौर से तब जब सूरज की किरणें पूरी झील को अपनी आग़ोश में ले लेती हैं। यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है। नैनीताल में नौंकायें और पैडलिंग का भी आनंद उठाया जा सकता है। मुख्य शहर से तक़रीबन ढाई किलोमीटर दूर बनी नैनी झील तक पहुँचने के लिए केबल कार का इस्तेमाल करना पड़ता है। यह सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है।
 
 
 
इस झील के बारे मैं माना जाता है की यह भगवान शिव की पत्नी सती की पन्ना रुपी हरी आंखें है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सती के पिता ने शिव को एक यज्ञ मे आमंत्रित नहीं कर उनका अपमान किया तो सती ने अपने आप को उस यज्ञ की अग्नि मे जला डाला। तब भगवान शिव ने व्यथित हो कर उनके जले हुए शरीर को उठाया और तांडव नृत्य करने लगे। शिवजी के क्रोध से दुनिया का अस्तित्व खतरे में पड़ गया। तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को टुकड़ों में कट दिया जिससे देवी सती के शरीर के टुकड़े पूरे भारतवर्ष में फैल गए। नैनी झील के उत्तरी छोर पर सती की आंख गिर गई और माना जाता है कि आधुनिक नैना देवी मंदिर उसी जगह पर है।
 
 
 
स्नो व्यू
स्नो व्यू की यात्रा उन सभी पर्यटकों के लिए जरूरी है जो नंदा देवी का भव्य दृश्य देखना चाहते हैं। यह भारत का दूसरा सर्वोच्च शिखर है। यह एक पहाड़ी क्षेत्र है और समुद्र के स्तर से 2235 मीटर (7450 फीट) ऊपर है।
 
 
 
डोरोथी सीट
2292 मीटर की ऊंचाई पर और शहर से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, डोरोथी सीट को टिफिन टॉप के रूप में भी जाना जाता है जो आर्यपट्टा पहाड़ी के ऊपर स्थापित है। यहाँ आप को डोरोथी केल्लेट नाम की एक अंग्रेज महिला का स्मारक मिल जाएगा जिसके बारे मे माना जाता है की वह एक विमान दुर्घटना में मारी गई थी, यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट भी है।
 
हनुमानगढ
1951 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह विशाल जगह आध्यात्मिक गतिविधि के लिए एक मंदिर है।
 
हाई आल्टीटयूट चिड़ियाघर
2075 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और बस स्टेशन से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ आप ऊंचाई पर रहने वाले जानवरों को देख सकते है।
 
किलबुरी
किलबुरी समुद्र तट से ऊपर 2528 मीटर की ऊंचाई पर और 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां नाइट स्टे के लिए एक फारेस्ट रेस्ट हाऊस हैं। यहाँ रहने के लिए जिला वन कार्यालय, (डी एफ ओ), नैनीताल के माध्यम से इसे बुक किया जा सकता है।
 
खुर्पाताल
यह शांतिपूर्ण और अद्भुत जगह नैनीताल के बाहरी इलाके में स्थित है। मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध यह जगह नैनीताल से 5 किलोमीटर दूर है।
 
लारिया कांता
पर्वत श्रृंखलाओं के दृश्य बीच 2481 मीटर की ऊंचाई पर एक पिकनिक स्थल है।
 
नैना पीक
2610 मीटर की ऊंचाई पर, यह नैनीताल के आसपास की सबसे ऊंची चोटी है जहाँ ट्रैकिंग या घोड़े पर पहुँचा जा सकता है। पर्यटकों के लिए एक चार कमरे वाला लॉन्ग केबिन है।
 
राज्य वैद्यशाला
यह वैद्यशाला खगोलीय अध्ययन और कृत्रिम पृथ्वी उपग्रहों के ऑप्टिकल ट्रैकिंग के लिए समर्पित है।
 
आसपास के आकर्षण
पनगोत (15 किलोमीटर)
घनी वनाच्छादित पहाड़ियों से घिरा हुआ है, यह गांव बर्ड वाचिंग में लिप्त पर्यटकों के लिए एक चुंबक है।
अल्मोड़ा (67 किलोमीटर)
नंदा देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, यह पहाड़ी शहर कुमाऊं पहाड़ियों में 5400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह अपनी स्वस्थ जलवायु के लिए जाना जाता है, यहाँ से सुरम्य वातावरण के बीच केसर देवी मंदिर की 8 किलोमीटर की यात्रा आगंतुकों को आकर्षित करती है।
जागेश्वर (34 किलोमीटर)
यह अत्यंत महत्व का धार्मिक स्थान है, जागेश्वर एक संकीर्ण नदी के किनारे विशाल देवदार के वृक्षों से घिरी घाटी है जहाँ 150 से भी अधिक मंदिर एक परिसर मे निर्मित है। सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों मे मृत्यंजय, ज्योतिर्लिंग और दन्देश्वर मंदिर हैं।
भीमताल (22 किलोमीटर)
पहाड़ियों के बीच एक बड़ी झील है जिसमे नौका विहार और मछली पकड़ने की सुविधा उपलब्ध है।
बिनसर (96 किलोमीटर)
अल्मोड़ा से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, बिनसर से बद्रीनाथ, केदारनाथ, त्रिशूल, चैकम्बा, शिवलिंग और नंदा देवी चोटियों का द्रश्य सराहनीय है।
जेओलिकोट (17 किलोमीटर)
यह एक स्वास्थ्य रिसॉर्ट और मधुमक्खी पालन केंद्र है, यह जगह तितली देखने वालों के लिए भी आकर्षण स्थल है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क (113 किमी)
भारत के सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाला वन्यजीव अभयारण्य कॉर्बेट नेशनल पार्क कुमाऊं पहाड़ियों के छोर पर रामगंगा नदी के किनारे स्थित है। यह भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क है जो 1936 में स्थापित किया गया। 1973 में, प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत इसको एक बाघ अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था।
कौसानी (120 किलोमीटर)
एक सुंदर हिल स्टेशन है, जो काठगोदाम (103 किलोमीटर) , रानीखेत (70 किलोमीटर), अल्मोड़ा (50 किलोमीटर), बागेश्वर (39 किलोमीटर) के साथ सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
नौकुचिया ताल (26 किलोमीटर)
यह नौ कोनों वाली झील है, जो मछली पकड़ने की एक अच्छी जगह है और प्रवासी पक्षियों के लिए एक स्वर्ग है। नौकायन, रोइंग, पेडल नौकाविहार और स्विमिंग महान आकर्षण हैं।
मुक्तेश्वर (51 किमी)
एक रिज पर समुद्र स्तर से लगभग 2254 मीटर (7513 फीट) उप्पेर मुक्तेश्वर से हिमालय का शानदार द्रश्य देखने को मिलता है, यह फलों के बगीचे और मोटे शंकुधारी वन से भरा हुआ हैं। शहर के किनारे एक चट्टान के शीर्ष पर, सदीयो पुराना मुक्तेश्वर मंदिर स्थित है जो भगवान शिव को समर्पित है।
पिथौरागढ (188 किलोमीटर)
इस जिले के मे उत्तर मे चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल की सीमाएं लगती हैं, यह आकर्षक अल्पाइन मैदानों और ग्लेशियरों का घर भी हैं।
चैकोड़ी (112 किलोमीटर)
यह हिमालय के शानदार द्रश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
पाताल भुवनेश्वर
पिथोरागढ से 91 किलोमीटर और चैकोरी से 34 किलोमीटर): हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पाताल गुफाएं भुवनेश्वर महादेव और शेष नाग का निवास हैं, इन गुफाओं मे कुछ संरचनाएं भी है।
मुनस्यारी
यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग और ट्रेकर्स के लिए आधार शिविर है। यह जगह तेज़ी से स्कीइंग और शीतकालीन खेलों का केंद्र बनता जा रहा है।
रामगढ (25.75 किमी)
एक सुरम्य गांव है जहाँ आप कुमाऊं के बगीचे देख सकते है।
रानीखेत (54 किमी)
1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रानीखेत एक सुखद पहाड़ी सैरगाह है।
सात ताल (21 किलोमीटर)
यह 7 झीलों का समूह है, सबसे महत्वपूर्ण गरुड़ ताल, राम ताल और सीता ताल है। सीता ताल के तट पर एक पर्यटक बंगला और एक लॉन्ग झोपड़ी है जो जंगली पहाड़ियों से घिरी हुई है।
 
पहुंचने का माध्यम
 
 
वायुमार्ग
निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर (71 किलोमीटर) है। अभी इस हवाई अड्डे के संचालित नहीं होने के कारण सुविधाजनक हवाई अड्डा दिल्ली है जो भारत और विदेशों के प्रमुख शहरों के साथ जुड़ा हुआ है।
 
 
रेलमार्ग
35 किलोमीटर दूर काठगोदाम निकटतम रेलवे स्टेशन है जो भारत के प्रमुख शहरों और स्थानों के साथ जुड़ा हुआ है।
 

सड़कमार्ग
नैनीताल कई प्रमुख सड़क मार्गों से भारत के विभिन्न स्थानों के साथ जुड़ा हुआ है।
नैनीताल से दूरी
-अल्मोड़ा से 67 किलोमीटर
-आगरा से 403 किलोमीटर
-बद्रीनाथ से 303 किलोमीटर
-दिल्ली से 318 किलोमीटर
-हरिद्वार से 306 किलोमीटर
-कौसानी से 120 किलोमीटर
-लखनऊ से 380 किलोमीटर
-मुरादाबाद से 155 किलोमीटर
-मसूरी से 355 किलोमीटर
 
महत्वपूर्ण जानकारी
 

बोली जाने वाली भाषाएं
हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी, और पहाड़ी
एस.टी.डी. कोड
05942
 
 
पर्यटक सूचना केंद्र
प्रभागीय प्रबंधक पर्यटन/प्रबंधक साहसिक पर्यटन,
कुमाऊँ मंडल विकास निगम लिमिटेड,
ओक पार्क हाउस, मल्लीताल,
नैनीताल
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