नई दिल्ली। भारतीय टेनिस के इतिहास में 2015 का साल सानिया मिर्जा के नाम सुनहरें अक्षरों में लिखा जाएगा। टेनिस स्टार सानिया ने इस साल हैरतअंगेज कामयाबियां हासिल की और दो ग्रैंड स्लेम सहित कुल 10 खिताब अपने नाम किये जो आज तक कोई भारतीय खिलाड़ी नहीं कर पाया है। सानिया के साथ 42 वर्षीय लिएंडर पेस ने भी इस साल को अपने लिये यादगार बनाया और तीन मिश्रित युगल ग्रैंड स्लेम जीते।
बता दें कि फिलीपींस की आठ मैचों में यह पांचवीं जीत है जबकि यूएई की सात मैचों में चौथी हार है। फेडरर आईपीटीएल के दिल्ली चरण में अपने प्रबल प्रतिद्वंद्वी स्पेन के राफेल नडाल से टाईब्रेक में हारे थे और दुबई में उन्हें जोरदार सर्विस करने वाले कार्लोविच ने 25 मिनट में पुरूष सिंगल में 6-4 से हरा दिया। फेडरर और मारिन सिलिच की जोड़ी को एडवर्ड रोजर वैसेलीन और ट्रीट हुएई से पुरूष डबल्स में 28 मिनट में 4-6 से हार झेलनी पड़ी। इन दो पराजयों ने यूएई रॉयल्स के हाथों से जीत का मौका निकाल दिया। पहले तीन सेट पूरे होने तक रॉयल्स का स्कोर 16 और मैवरिक्स का स्कोर 14 था लेकिन मैवरिक्स ने अंतिम दो सेट जीतकर यह मुकाबला अपने नाम कर लिया।
एकल मुकाबलों में यूकी भांबरी ने साल के आखिर तक जाते जाते दुनिया के शीर्ष 100 खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज करा लिया। विश्व की नंबर एक महिला युगल खिलाड़ी सानिया के लिये 29 अगस्त का दिन उनके जीवन का सबसे यादगार दिन बन गया जब उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के सर्वोच्च राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा। हालांकि खेल मंत्रालय द्वारा सानिया को इस पुरस्कार के लिये चुने जाने की कई हलकों में आलोचना भी हुई थी और एक समय तो उनका खेल रत्न खतरे में पड़ता दिख रहा था। 29 अगस्त से पहले 28 अगस्त की शाम, राजधानी का मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, राष्ट्रीय खेल पुरस्कार विजेताओं के लिये रात्रि भोज का कार्यक्रम और इंतजार खिलाड़ियों का।
सानिया को भी मन में कहीं इस बात की आशंका थी कि जिस खेल रत्न को लेने के लिये वह विशेष रूप से न्यूयार्क से दिल्ली आई हैं कहीं वही उनके हाथ से फिसल न जाए। दरअसल पैरालंपियन एस एस गिरिशा ने अदालत में एक याचिका दायर कर सानिया को खेल रत्न देने से रोकने की मांग की थी और उनका कहना था कि उनकी लंदन पैरालंपिक में रजत जीतने की उपलब्धि कहीं बड़ी है और उन्हें खेल रत्न मिलना चाहिये क्योंकि इस पुरस्कार के मापदंड में सबसे अधिक अंक उन्हीं के हैं। केंद्रीय खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने स्वत: संज्ञान लेकर सानिया के नाम की खेल रत्न के लिये सिफारिश की थी क्योंकि अखिल भारतीय टेनिस महासंघ ने सानिया का नाम खेल रत्न के लिये भेजा ही नहीं था।