लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने कहा कि वर्तमान परिवेश में साइबर क्राइम की चुनौतियां बहुत विकराल हैं लेकिन राज्य पुलिस ने हमेशा इनका डटकर मुकाबला किया गया है। पुलिस मुख्यालय स्थित ऑडिटोरियम में साइबर क्राइम से संबंधित राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए सिंह ने कहा कि वर्तमान परिवेश में साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी बड़ी चुनौतियां सामने आई, लेकिन अभी तक के सीमित संसाधनों से पुलिस विभाग द्वारा बेहतर कार्य किया गया लेकिन जब संसाधनों और विभागीय संरचनाओं में संवर्धन होगा तब और बेहतर परिणाम आयेंगें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में साइबर अपराध पंजीकरण की कार्रवाई काफी संतोषजनक है। प्रदेश पुलिस ने समय के साथ आने वाली चुनौतियों का हमेशा डटकर मुकाबला किया है और ऐसी संस्थायें खड़ी की, जिनका लोहा पूरे देश ने माना है। संगठित अपराध के विरूद्ध एसटीएफ, आतंकवाद के विरूद्ध एटीएस, महिला सम्बन्धी अपराधों में 1090, थाना प्रबन्धन में सीसीटीएनएस, एमरजेंसी रिस्पांस में 112 तथा सोशल मीडिया में ट्विटर सेवा अपनी दक्षता और निरंतर परिणाम देने की क्षमता के लिए माने जाते हैं। इस श्रृंखला में अगला मील का पत्थर साइबर अपराध शाखा साबित होगी। डीजीपी ने कहा कि यदि हम अपने काम में व्यवसायिक दक्षता, सहायता करने की मंशा और सफल परिणाम देने की इच्छाशक्ति से काम करें तो पुलिस पर आम जनता के विश्वास में और अधिक वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के बढ़ने के कारणों को यदि हम समझ लेंगे तो उसका समाधान ढूंढना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अपराध को एक त्रिभुज के रूप में चित्रित किया जा सकता है, जिसके तीन साईड है एक व्यक्ति जिसके साथ घटना होगी दूसरा अपराध के लिए प्रेरित व्यक्ति और तीसरा यानि अपराध का स्थान अथवा अवसर। यदि किसी अपराध पर नियंत्रण पाना है तो त्रिभुज की कम से कम दो भुजाओं पर काम करना अधिक लाभदायक सिद्ध होगा। प्रदेश पुलिस इस ओर गंभीरता से अग्रसर है। हमने 05 स्तंभों को मजबूत करने की रणनीति बनाई है। सुदृढ संस्था, आधारभूत संरचना, तकनीक, सहभागिता, कौशल विकास। अन्त में पुलिस महानिदेशक द्वारा कहा गया कि आपको यदि सफल होना है, तो विशेषज्ञ बनना पड़ेगा। कार्यशाला में विभिन्न संस्थाओं के विशेषज्ञों ने साइबर अपराध के विषय में विस्तार से जानकारी दी गयी।