मेदिकेरी। कर्नाटक सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास और अन्य प्रकार की सहायता के लिए गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और दान दाताओं से अपने प्रस्ताव देने को कहा है। सरकार की इस योजना के संबंध में कोडागु जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावितों को पुनर्वास और सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से एनजीओ और दान दाताओं से प्रस्ताव देने को कहा है। जिला उपायुक्त अनीस कनमनी ने एनजीओ की ओर से उपलब्ध सहायता के बारे में जानकारी दी। आधिकारिक तौर पर गुरुवार को यहां जारी वक्तव्य के मुताबिक, ‘‘लगातार पिछले दो वर्षों के दौरान जिले में बाढ़ और भूस्खलन के कारण भारी नुकसान हुआ है। इस दौरान एक लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं।’’ उपायुक्त ने एक समिति की बैठक की अध्यक्षता की जिसमें विभिन्न संगठन, बड़ी हस्तियों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल थे। वर्ष 2018 और 2019 के दौरान 40 लोग और 352 मवेशी इस आपदा से मारे गये जबकि 6,397 मकानों, 265 आंगनवाड़ी केंद्रों और 20 स्वास्थ्य केंद्रों को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि बाढ़ एवं भूस्खलन के कारण 1,736 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
इस बीच, कनमनी ने संबंधित लोगों से प्राकृतिक आपदाओं पर स्कूली बच्चों और शिक्षकों को जागरूक करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि प्रभावित स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का पुनर्निर्माण और ठोस कचरा प्रबंधन पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा बाढ़ पीड़ितों के लिए घरों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इस वर्ष बाढ़ के दौरान जिन लोगों ने अपने घर खो दिए हैं उन्हें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के तहत मौद्रिक सहायता प्रदान की जाएगी। अबतक 14,000 किसानों को 57 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की गयी है। उपायुक्त ने कहा कि विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (वीटीयू) ने बाढ़ राहत के लिए 59 लाख रुपये का योगदान दिया है और टाटा कंपनी ने एक आंगनवाड़ी का निर्माण किया है। जिला कॉफी उत्पादक संघ के अध्यक्ष एम. बी. देवैया ने प्रशासन से नदी के पास रहने वाले लोगों को सी और डी स्तर की जमीन प्रदान करने का आग्रह किया है। कोडागु सेवा केंद्र के प्रतिनिधि प्रमोद ने नालियों में जमा गाद को साफ करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार को सड़कों के रखरखाव पर भी ध्यान देना चाहिए।