नई दिल्ली। जदयू से अलग हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी वैसे तो भाजपा के साथ मिलकर इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट का खुलासा नहीं करने के भाजपा के फैसले पर उन्होंने आपत्ति दर्ज करा दी है। मांझी ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया है, जब जातिगत जनगणना के लिए आयोग बना, सर्वे हुआ तो इसे गुप्त रखने की क्या जरूरत। इसको सामने लाना चाहिये। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मसले को उठाते हुए कहा कि जब सर्वे कराया गया है तो इसकी रिपोर्ट सामने रखने में किस तरह की दिक्कत हो सकती है। ऐसी रिपोर्ट से सरकार उस दिशा में काम भी कर सकती है।
मांझी ने अपने फेसबुक स्टेटस पर आगे लिखा है कि जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट सामने आने से ये बातें भी सामने भी आयेगी कि देश में अल्पसंख्यक और महिलाओं की कितनी आबादी है। रिपोर्ट आने से इन वर्गों के लिये चलायी जा रही योजनाओं के बजट बनाने में सहुलियत होगी। साथ ही इन समाज के लोगों के सही आर्थिक स्थिति के आकड़े सामने आयेंगे। चाहे वो किसी भी जाति के गरीब हो, इस रिपोर्ट में ये पता चलेगा कि कितने लोग भूमिहीन और मकानविहीन हैं। तभी तो इनकी स्थिति में सुधार के लिए प्रभावी निर्णय लिया जा सकता है। इस सर्वे को सिर्फ जाति से जोड़ना उचित नहीं है, बल्कि सर्वे में इन वर्गों के लोगों की वास्तविक स्थिति का भी पता चलेगा। ये मेरी व्यक्तिगत राय है कि जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के लिए 13 जुलाई को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन
राजद भी इस मामले में काफी नाराजगी जता चुका है। पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव घोषणा कर चुके हैं कि 13 जुलाई को वह राजभवन तक मार्च करेंगे साथ ही पार्टी पूरे प्रदेश में भाजपा के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। राजद अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के इशारे पर जातीय गनगणना रिपोर्ट को दबा दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह लोगों को बताना चाहिए कि किसके दबाव के कारण इस रिपोर्ट को नहीं प्रकाशित होने दिया गया है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना रिपोर्ट के प्रकाशित होने से बजट में इसके लिये अलग से प्रावधान किया जाता लेकिन केन्द्र सरकार ऐसा करना नही चाहती है।
जाति आधारित राजनीति के लिए बेचैन है राजदः भाजपा
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने जातीय मतगणना रिपोर्ट जारी नहीं किए जाने को लेकर राजद और जदयू की ओर से केंद्र सरकार पर उठाए जा रहे सवालों को बेतुका बताया है। श्री यादव ने कहा कि जाति और मजहब की राजनीति करने वाले लोग इस रिपोर्ट का सहारा लेकर समाज की समरसता बिगाड़ना चाहते हैं। बिहार में इस समय एनडीए के नेतृत्व में विकास की लहर चल रही है, जिससे बौखलाए राजद-जदयू जैसे दल जातिवादी राजनीति को हवा देने की साजिश में जुटे हैं।