नई दिल्ली। पांच विश्व कप खिताब और सात बैक-टू-बैक एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक कबड्डी के खेल में भारत की सफलता का प्रमाण हैं लेकिन इन उपलब्धियों के बाद भी प्रमोशन और आधारभूत संरचना के मामले में देश में कबड्डी का विकास नहीं हुआ है। यह मानना है पालम स्पोर्ट्स क्लब की 50 वर्षीय कोच और शारीरिक शिक्षा शिक्षक नीलम साहू का। नीलम अजय साहू के साथ मिलकर पिछले 25 साल से लड़कियों को कबड्डी का प्रशिक्षण दे रही हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद अब तक उन्होंने लगभग 300 खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है। इनमें से नौ खिलाड़ियों ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है।
खिलाड़ियों की मदद और उन्हें बेहतर सुविधा के साथ प्रशिक्षण देने के लक्ष्य के साथ अब उन्होंने क्राउड प्लेटफॉर्म मिलाप से हाथ मिलाया है। उन्होंने 'लेट्स हेल्प वीमेन कबड्डी प्लेयर्स अचिव देयर ड्रीम' नाम से आनलाइन फंडरेजर कार्यक्रम मिलाप क्राउड मंच पर शुरू किया है। ये फंड महिला खिलाड़ियों को अपने खेल में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करेगा। अपनी परेशानी साझा करते हुए कोच नीलम साहू ने कहा कि कबड्डी एक ऐसा खेल है,
जिसके लिए खिलाड़ियों को अभ्यास करते समय नंगे पैर रहना होता है। सर्दियों में ठंडी जमीन एक बड़ी चुनौती है। कई प्रशिक्षण संस्थान सर्दियों के दौरान अभ्यास के लिए मैट का उपयोग करते हैं। मैट की औसत लागत लगभग दो लाख रुपये है। इतना पैसा हम नहीं लगा सकते। मैट सिर्फ एक मौसम तक ही काम आता है। इसमें लगातार खर्च आता है। उनका कहना है कि सुविधाओं की कमी के कारण कई खिलाड़ियों के सपने अधूरे रह जाते हैं।