रविवार को नवरात्र का तीसरा दिन है। आम तौर पर तीसरे दिन मां भगवती के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना होती है लेकिन इस बार की नवरात्र में तृतीया तिथि का क्षय है। जिसकी वजह से तृतीय व चतुर्थी तिथि के देवियों के एक साथ पूजा अर्चना होगी। इसलिए रविवार को चंद्रघंटा देवी और कूष्मांडा देवी दोनों की अराधना होगी।
चंद्रघंटा : तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है। इनकी उपासना से वीरता एवं विनम्रता का विकास होता है। देवी का स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। देवी का स्वरूप चंद्रमा सदृश है। इसलिए इनको खीर और पंचमेवा, विशेषकर मखाने का भोग पसंद है। कोई भी सफेद सात्विक भोग इनको लगाया जा सकता है।
पूजा : स्फटिक की माला करें। श्रीदुर्गा सप्तशती का पांचवा अध्याय पढ़ें।
मनोकामना : वीरता, बुद्धि, विवेक देने की देवी से कामना करें।
जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर है। उनके लिए इनकी पूजा विशेष लाभकारी है। चैत्र नवरात्र पर्व की शुरूआत शुक्रवार से हो गई है। नवरात्र के दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। मंदिरों के अलावा घरों में भी देवी की स्थापना की जाती है। नवरात्र में भक्त पूरे नौ दिन तक उपवास, व्रत रखकर पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्र पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की अराधना की जाती है। इन नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ जरूरी नियम और बातों का ख्याल जरूर रखना होता है। जानते हैं नवरात्र व्रत में किन बातों का खास ख्याल रखें:-
नवरात्र में नौ दिन का व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए।
व्रती को नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए।
कलश स्थापना करने या अखंड दीप जलाने वालों को नौ दिनों तक अपना घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
घर में सात्विक भोजन बनना चाहिए। लहसून-प्याज, नॉनवेज से बचना चाहिए।
नवरात्र का व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए।
काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
व्रत में खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
एक घर में तीन शक्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए।
किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है।