इंदौर। पितृ पक्ष का शुभारंभ 17 सितंबर 2024 (मंगलवार) से हो गया है। वहीं, समापन 2 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या के साथ होगा। इस दौरान 16 तिथियां पड़ती है, जिसमें जातक अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं। पितर पक्ष का महीना सनातन धर्म में महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि पूर्वजों का श्राद्ध करने पितर प्रसन्न होते हैं और दोष भी दूर होता है। श्राद्ध के अंतिम तिथि को सर्वपितृ अमावस्या होती है, जिन लोगों को पूर्वजों की देहांत तिथि पता नहीं है इस दिन श्राद्ध कर्म करते हैं।
पितर विसर्जन अमावस्या
इस वर्ष पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर (बुधवार) को है। अश्विन माह की अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर को रात 09.39 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 3 अक्टूबर को रात 12.18 मिनट पर होगा। सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त सुबह 11.46 मिनट से दोपहर 12.33 मिनट तक रहेगा। रोहिणी मुहूर्त दोपहर 12.33 मिनट से 1.20 मिनट तक। वहीं, अपराह्र काल दोपहर 1.20 मिनट से 3.42 मिनट तक है।
पितृ पक्ष उपाय
1. पितृ पक्ष में स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व है। इस दौरान श्राद्ध कर्म और पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए सोमवार का व्रत रखें। साथ ही जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और दान दें।
3. मंगलवार के दिन बजरंगबली के मंदिर जाकर हनुमानजी को चोला चढ़ाएं।
4. नियमित रूप से गाय को आटे की लोइयां बनाकर खिलाएं और उनकी सेवा करें।
5. पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी का बंदोबस्त करें और वृद्ध आश्रम जाकर बुजुर्गों की सेवा करें।