27 Apr 2024, 09:26:44 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

शतावरी को लेटिन भाषा में असपारगस-रेसेमेसस भी कहा जाता है। इसका पौधा उत्तर भारत में अधिक पाया जाता है। दरअसल इसकी जड़ को औषधि की तरह प्रयोग किया जाता है। शरीर में बल और वीर्य का बढ़ाने के लिए शतावरी की जड़ का प्रयोग किया जाता है। यूं तो शतावरी स्त्री व पुरूष दोनों ही के लिए उपयोगी और लाभप्रद गुणों वाली जड़ी है, लेकिन फिर भी यह स्त्रियों के लिए विशेष रूप से गुणकारी व उपयोगी होती है।

क्या है शतावरी 
शतावरी एक चमत्कारी औषधि है। जिसे कई रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। खासतौर पर सेक्स शक्ति को बढ़ाने में इनका विशेष योगदान होता है। यह एक झाड़ीनुमा पौधा होता है। जिससे फूल व मंजरियां एक से दो इंच लंबे एक या गुच्छे मे लगे होते है और मटर जितने फल पकने पर लाल रंग के हो जाते है। आयुर्वेद के मुताबिक, शतावर पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा इसका उपयोग विभिन्न नुस्खों में व्याधियों को नष्ट कर शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने में किया जाता है। 

योन शक्ति के लिए शतावरी 
शतावरी को शुक्रजनन, शीतल, मधुर रसायन माना जाता है। महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को कायम रखने वाला माना था। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को ह्दय रोगों में प्रभावी मानते है। शतावरी के लगभग 5 ग्राम चूर्ण को सुबह और रात के समय गर्म दूध के साथ लेना लाभदायक होता है। इसे दूध में चाय की तरह पकाकर भी लिया जाता है यह औषिध स्त्रियों के स्तनों को बढ़ाने में मददगार होती है। इसके अलावा शतावरी के ताजे रस को 10 ग्राम की मात्रा में लेने से वीर्य बढ़ता है। शतावरी मूल का चूर्ण 2.5 ग्राम को मिश्री 2.5 ग्राम के साथ मिलाकर पांच ग्राम मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह, प्री-मैच्योर इजेकुलेशन में लाभ मिलता है। यही नहीं शतावरी की जड़ के चूर्ण को देध में मिलाकर सेवन करने से धातु वृद्धि भी होता है। 
 
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