09 May 2024, 02:42:14 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

रायपुर। सुकमा के तोंडामरका में 56 घंटों के ऑपरेशन ‘प्रहार’ के बाद नक्सलियों के मांद से सुरक्षा बल के जवान सुरक्षित लौट आए हैं। डीजी स्पेशल डीएम अवस्थी ने दावा किया है कि इस ऑपरेशन में दो दर्जन से ज्यादा माओवादियों को सुरक्षा बल के जवानों ने मार गिराया है। हालांकि इस ऑपरेशन में तीन जवान भी शहीद हुए हैं और सात जवान घायल हैं, जिन्हें हेलीकॉप्टर से रायपुर पहुंचाया गया है, जहां उनका इलाज शुरू कर दिया गया है। 
 
आधी रात तक माथे पर पड़ा रहा बल
बता दें कि शनिवार को ऑपरेशन प्रहार के लिए तोंडामरका में दाखिल हुए जवान देर शाम तक मुठभेड़ में शामिल रहे। तब तक जवानों से संपर्क भी स्थापित हो रहा था। इस दौरान दो जवानों की शहादत और पांच जवानों के घायल होने की सूचना पर रेस्क्यू टीम भेजी गई थी और उन्हें निकाल लाया गया था। किंतु रात ढलने के बाद जवानों से जो संपर्क टूटा, दोबारा स्थापित नहीं हो पाया। इस वजह से राजधानी में बैठे आला पुलिस अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई थी। सभी अफसर आधी रात तक पुराने पुलिस मुख्यालय के ‘वार रूम’ में बैठे लगातार संपर्क करने की कोशिश करते रहे, लेकिन आधी रात तक किसी से संपर्क नहीं बन पाया।  
 
पहली बार इतना आगे बढ़े जवान
डीएम अवस्थी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ कि सुरक्षाबल तोंडामरका तक पहुंचने में कामयाब रहे, जहां आज तक सुरक्षाबल के जवान नहीं पहुंच पाए थे। अवस्थी ने बताया कि सुरक्षाबलों ने बीजापुर में हथियारों की एक फैक्ट्री को ध्वस्त की और बड़ी संख्या में हथियार और दूसरी आपत्तिजनक चीजें बरामद की।
 
डर था कहीं एंबुश में न फंस जाए
पत्रकारों से रविवार को चर्चा करते हुए स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने बताया कि यह पहली बार है जब सुरक्षा बल के जवान तोंडामरका में दाखिल हुए। उनका कहना है कि तोंडामरका को माओवादियों का मांद माना जाता है। उन्होंने कहा कि इस पूरे इलाके में माओवादियों का जमावड़ा रहता है, जिसकी वजह से एक खौफ बना हुआ था कि कहीं ऑपरेशन में निकले जवान उनके एंबुश में न फंस जाए। उनका यह भी कहना था कि इस ऑपरेशन में 1500 जवान शामिल थे और सभी एक साथ थे। यह एक बड़ी चिंता का विषय था। उन्होंने बताया कि सभी जवान सकुशल लौट आए हैं और जो माओवादी मारे गए हैं, उनमें कुछ कमांडर भी हो सकते हैं। 
 
लौटने के लिए नहीं बढ़ाए कदम
एक सवाल के जवाब में डीजी अवस्थी ने कहा कि नक्सलियों के मांद तक पहुंचने का तात्पर्य यह है कि बस्तर से माओवाद को हमेशा के लिए खत्म करना है। इतना आगे बढ़ने के बाद कदम पीछे करने का सवाल ही पैदान नहीं होता। डीजी अवस्थी ने कहा कि यहां पर जवानों के हौसलों की तारीफ करनी होगी, जिसकी वजह से माओवादियों को अपने मांद में छिपना पड़ा। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि माओवाद के कोढ़ से राज्यों को मुक्त करना है, फिर चाहे इसके लिए जिस तरह की भी नीति बनाने की जरुरत है, ऑपरेशन की आवश्यकता है, उस पर सरकार को किसी तरह की आपत्ति नहीं होगी। 
 
कल्लूरी बस्तर की जरूरत नहीं : अवस्थी
ऑपरेशन प्रहार की सफलता के बाद स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने बेहद ही स्पष्ट लहजे में कहा कि आईजी एसआरपी कल्लूरी बस्तर की जरुरत नहीं है। उनका कहना है कि आईजी कल्लूरी को रायपुर बुलाए जाने के बाद, उनकी जगह पर जिन पुलिस अफसरों को पदस्थ किया गया है, वे बेहतर तरीके से माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आईजी कल्लूरी को फिलहाल बस्तर में पदस्थ किए जाने जैसी किसी बात की चर्चा सरकार में नहीं हो रही है और न ही जरुरत महसूस की जा रही है। संभव है कि कुछ लोग इस तरह का भ्रम फैला रहे हैं, लेकिन इससे सरकार और पुलिस के नीतिकारों को किसी तरह का सरोकार नहीं है। 
दोनों हमले का नुकसान नहीं भूले : उल्लेखनीय है कि अप्रैल माह में महज 13 दिनों के भीतर माओवादियों ने भेज्जी और तोहकापाल में दो बड़े हमलों को अंजाम दिया था। जिसमें सीआरपीएफ के कुल 35 जवान शहीद हो गए थे, वहीं आधा दर्जन से ज्यादा जवान बुरी तरह जख्मी हुए थे। 
डीजी अवस्थी ने कहा कि उन दोनों हमलों को सरकार और पुलिस भूली नहीं है। उसका बदला माओवादियों से हर हाल में लिया जाएगा। ऑपरेशन प्रहार उसी रणनीति का हिस्सा है। उन दोनों हमलों के बाद सुरक्षा बल ने अब तक उतनी संख्या में माओवादियों को मार गिराया है। यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा। एक एक शहीद जवान के बदले 10-10 माआवोदियों को ढ़ेर करने की शपथ साथी जवानों ने ली है।
 
कल्लूरी ने झोंक दी थी ताकत
बस्तर आईजी रहते कल्लूरी की तबियत बिगड़ी थी, तब वे इलाज के लिए आंध्रप्रदेश चले गए थे। उनकी गैर मौजूदगी के बावजूद डॉ. रमन सरकार ने प्रभारी आईजी से काम चला लिया। आईजी कल्लूरी के लौटने के बाद उन्हें दोबारा पदस्थ तो किया गया, लेकिन बेला भाटिया का पेंच ऐसा फंसा, जिसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को ही बस्तर आई कल्लूरी को हटाने के लिए पासा फेंकना पड़ गया। इसके बाद मानवाधिकारी की तगड़ी फटकार से सहमी सरकार ने आईजी कल्लूरी रायपुर तो बुला लिया, पर अभी तक कोई काम नहीं सौंपा है। इस बीच कल्लूरी ने बस्तर के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। दिल्ली तक उन्होंने दौड़ लगाई और संघ के प्रमुख पदाधिकारियों के पास भी जुगत लगाई, पर भला नहीं हो पाया।
 
सक्षम हैं पदस्थ अधिकारीगण
डीजी अवस्थी ने कहा कि यह एक सिस्टम है और आईजी कल्लूरी सहित अन्य पुलिस अफसर सिस्टम के हिस्से हैं। किसी एक अधिकारी का तबादला किए जाने का मतलब यह नहीं है कि सिस्टम फेल हो जाएगा। डीजी अवस्थी ने कहा कि कोई भी इंसान नई जगह पर पदस्थ किया जाता है, तो उसे कुछ समय काम को समझने में लग जाता है। उन्होंने कहा कि आईजी बस्तर विवेकानंद सिन्हा हों, डीआईजी सुंदरराज पी हो या फिर डीआईजी रतनलाल डांगी वे अपने काम को समझ चुके हैं और इन सभी अफसरों के काम करने का अपना तरीका है। वे सिस्टम के तहत अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं, जिसमें किसी तरह की दिक्कत नहीं है। 
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