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नागरिकता संशोधन विधेयक विभाजनकारी और असंवैधानिक होगा : मायावती

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 6 2019 12:38AM | Updated Date: Dec 6 2019 12:38AM
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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने लाये जाने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक को विभाजनकारी एवं असंवैधानिक करार देते हुये कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव संविधान के विरूद्ध है।  सुमायावती ने गुरूवार को यहां जारी बयान में कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा काफी जल्दबाजी में लाया जा रहा नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तौर से विभाजनकारी व असंवैधानिक है। नागरिकता एवं नागरिकों में धर्म के आधार पर भेदभाव पैदा करना डॉ. भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष संविधान की मंशा व बुनियादी ढाचे के विरुद्ध कदम है।

उनकी पार्टी इस विधेयक के वर्तमान स्वरुप से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को नोटबन्दी व जी.एस.टी. की तरह थोपने की बजाय इस पर केन्द्र सरकार को पुनर्विचार करना चाहिये। इसे बेहतर विचार-विमर्श के लिए संसदीय समिति के पास भेजना चाहिये। केन्द्र की सरकार देश व जनहित में भारतीय संविधान के मुताबिक सही व उचित फैसले लेती है तो उनकी पार्टी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर केन्द्र सरकार का समर्थन करेगी। सुमायावती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मामले में पार्टी ने धारा 370 को लेकर इसी सोच के आधार पर ही केन्द्र सरकार का समर्थन भी किया था।

उनकी पार्टी ने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की सोच के आधार पर चलकर ही इसे भारतीय संविधान के हिसाब से ही अपने देश की एकता व अखण्डता को ध्यान में रखकर ही लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस व इनकी सहयोगी पार्टियां अब इसकी आड़ में उनकी पार्टी के विरुद्ध मुसलमानों को गुमराह करने में लगी है। धारा 370 को लेकर उनका नजरिया कुछ और होता तो पार्टी केन्द्र सरकार के लाये जा रहे नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में खुलकर खड़ी नहीं होती।

 
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