मदुरई। तमिलनाडु में मदुरई जिले के वाडीपट्टी में गुरुवार को विश्व प्रसिद्ध अलंगानल्लुर जलीकट्टू का पूरे उत्साह के साथ आयोजन किया गया जिसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इसके साथ ही तमिलनाडु में चार दिन से चल रहे पोंगल पर्व का समापन हो गया। मदुरई के अवनियापुरम में मंगलवार को दौड़ते सांडों को पकड़ने वाले इस खेल का आयोजन हुआ था। बुधवार को यह खेल वाडीपट्टी के पालामेडु में हुआ। तमिलनाडु के सभी हिस्सों से लाये गये कुल 1400 सांड और 848 सांड पालने वालों ने अलंगानल्लुर प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिये पंजीकरण कराया था।
तमिलनाडु के राजस्व मंत्री आर.बी. उदयकुमार ने इस पारंपरिक खेल को हरी झंडी दिखायी। इससे पहले जिला कलेक्टर एस. नटराजन ने सांड पालकों को जल्लीकट्टू की प्रतिज्ञा दिलायी कि खेल के दौरान वो किसी सांड को नुकसान नहीं पहुंचायेंगे। दौड़ते सांडों को पकड़ने का यह खेल देखने के लिये देश-विदेश से लोग आये। इस दौरान सुरक्षा के लिये 1500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किये गये थे। तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में चार दिवसीय पोंगल पर्व के दौरान जल्लीकट्टू का खेल होता है।
वीरता से जुड़े इस खेल के लिये सांडों की एक खास प्रजाति को पाला जाता है और इन सांडों को दौड़ते वक्त पकड़कर युवा अपनी हिम्मत का प्रदर्शन करते हैं। प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला यह खेल युवाओं की वीरता और साहस का परिचायक होता है। प्रतियोगिता में सबसे अच्छे सांड के मालिक और दौड़ रहे सांड को सबसे बेहतर तरीके से पकड़ने वाले प्रतिभागियों के लिये मुख्यमंत्री ई.के. पलानीस्वामी और उप मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने दो कारें पुरस्कार के रूप में देने की घोषणा की है। इसके अलावा सांड पालकों को दुपहिया वाहन, सोने के सिक्के, साइकिल और घरेलू सामान जैसे पुरस्कार भी दिये जाते हैं।