नई दिल्ली। हाल में संपन्न एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में भारत की एकमात्र पदक विजेता सोनिया लाठेर इस खेल से अपने गुस्से को नियंत्रित करने के लिए जुड़ी थी लेकिन पूरे तंत्र से काफी मदद नहीं मिलने के बावजूद वह रिंग में बड़ी उपलब्धि हासिल करने को लेकर सुनिश्चित हैं।
सोनिया ने विश्व चैम्पियनशिप के फीदरवेट वर्ग (57 किग्रा) में रजत पदक जीता था जबकि एमसी मैरीकाम और एल सरिता देवी जैसी दिग्गज मुक्केबाज शुरूआती चरण में ही बाहर हो गई थी।
हरियाणा के जींद की इस 24 वर्षीय मुक्केबाज ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने ऐसे नामों को पीछे छोड़ा जिन्हें खेलते देखकर और उनकी सराहना करते हुए वह बड़ी हुईं लेकिन उन्हें अपने आप से और अधिक उम्मीद है।
सोनिया ने दिए इंटरव्यू में कहा, मैं असल में थोड़ी निराश हूं, मुझे स्वर्ण पदक जीतना चाहिए था। मैं फाइनल में बेहद करीबी मुकाबले (शीर्ष वरीय इटली की एलेसिया मेसियानो से 1-2 से हारी) में हारी। लेकिन ऐसी टीम का हिस्सा होने जिसमें इतने बड़े नाम हैं और फिर पदक जीतना अच्छा है।
इस मुक्केबाज ने कहा कि अपने गुस्से को काबू में रखने के लिए वह मुक्केबाजी से जुड़ी और इस विचार का उनके परिवार वालों ने भी समर्थन किया था।