मुंबई। ब्याज दर के संबंध में दिये गये अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल के बयान के बाद अधिकतर विदेशी बाजारों से मिली सकारात्मक खबरों,अंतरर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा की मजबूत स्थिति से उत्साहित निवेशकों की लिवाली के दम पर बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों ने तेज उड़ान भरी।
बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1,213.28 अंक यानी 3.47 प्रतिशत की साप्ताहिक तेजी के साथ 36,194.30 अंक पर और एनएसई का निफ्टी 350 अंक यानी 3.32 प्रतिशत की बढ़त के साथ 10,876.75 अंक पर बंद हुआ। दिग्गज कंपनियों की तुलना में छोटी और मंझोली कंपनियों में कम लिवाली देखी गयी। बीएसई का मिडकैप इस अवधि में 159.01 अंक यानी 1.07 प्रतिशत की बढ़त के साथ 15,039.35 अंक पर और स्मॉलकैप 76.33 अंक यानी 0.53 प्रतिशत की तेजी के साथ 14,427.16 अंक पर बंद हुआ।
आगामी सप्ताह शेयर बाजार पर कई कारकों का असर रहेगा। घरेलू स्तर पर विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के आंकड़ों, बीते सप्ताह शुक्रवार को कारोबार के समय के बाद जारी हुए सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर, कोर उत्पादन वृद्धि दर और वित्तीय घाटे के आंकड़ों से निवेश धारणा प्रभावित होगी। आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती से देश की जीडीपी वृद्धि दर सितंबर को समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 8.2 प्रतिशत रहा था। इसी तरह देश का वित्तीय घाटा भी पूरे चालू वित्त वर्ष के सरकार के कुल अनुमान 3.3 प्रतिशत के पार पहुंच गया।
हालांकि, कोर उत्पादन के आंकड़े निवेशकों को हल्की राहत देने वाले हैं। अक्टूबर में कोर उत्पादन की वृद्धि दर सितंबर के 4.3 प्रतिशत से बढ़कर 4.8 प्रतिशत हो गई। डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा की स्थिति और विदेशी निवेशकों का रुख अगले सप्ताह भी शेयर बाजार को प्रभावित करेगा। वाहन बिक्री के आंकड़ों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। इसके साथ ही रिजर्व बैंक की होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों का भी असर देखने को मिलेगा।