नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निजी कंपनियों के आधार के इस्तेमाल पर लगाए गए प्रतिबंध ने कई क्षेत्रों की कंपनियों की परेशानी बढ़ा दी है। दूरसंचार, बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट जैसी सेवाएं देने वाली कंपनियां ग्राहकों का आधार के जरिये सत्यापन करने का पूरा सेटअप लगा चुकी हैं। ऐसे में कंपनियों को इस बात की चिंता सता रही है कि पहले उन्होंने यह व्यवस्था बनाने में खर्च किया अब उन्हें वापस पुराना तरीका प्रयोग करना होगा, जो करीब 10 गुना ज्यादा खर्चीला होगा।
साथ ही, सत्यापन और सेवा शुरू करने में आई तेजी में भी कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को रद्द कर दिया है, जिसके चलते अब आधार प्राधिकरण निजी कंपनियों के साथ डाटा साझा नहीं कर सकता। भारतीय सेल्यूलर आॅपरेटर एसोसिएशन (सीओएआई) का कहना है कि वह इस मामले में दूरसंचार मंत्रालय के निर्देश का इंतजार कर रहा है। हम सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन दूरसंचार कंपनियां पहले से ही वित्तीय संकट झेल रही हैं। अब इस फैसले का कंपनियों पर कितना असर पड़ेगा, इस पर गौर किया जा रहा है।
आधार के जरिये सुविधाजनक था भुगतान
एक मोबाइल वॉलेट कंपनी के प्रमुख ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा कि आधार के जरिये भुगतान सेवा सुविधाजनक और विश्वसनीय बन रही थी। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को इसका फायदा मिलना शुरू हो गया था। बैंकिंग क्षेत्र में आधार के प्रयोग पर रोक डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने वाली निजी कंपनियों के लिए भारी झटका है। देखते हैं कि सरकार इसका क्या हल निकालती है, क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र में सिर्फ सरकारी ही नहीं, बल्कि अब तो पोस्टल बैंक भी है, जिसकी पूरी व्यवस्था आधार पर टिकी है।