नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी एडिबल आॅयल मेकर कंपनी रुचि सोया को खरीदने की होड़ में शामिल बाबा रामदेव को अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी से तगड़ा झटका लगा है। लेंडर्स ने कर्ज में दबी रुचि सोया को खरीदने के लिए फॉर्च्यून ब्रांड के अंतर्गत कुकिंग आॅयल बेचने वाली अडानी विल्मर द्वारा लगाई गई बोली को मंजूरी दे दी है। ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 24 घंटे की वोटिंग प्रक्रिया खत्म होने के बाद कमेटी आॅफ क्रेडिटर्स के 96 फीसदी से ज्यादा सदस्यों ने रुचि सोया के लिए अडानी ग्रुप कंपनी के रेजलूशन प्लान पर अपनी मुहर लगाई। अडानी विल्मर बिड का 53 फीसदी रकम क्रेडिटर्स को मिलेगा। अब इस को अंतिम रूप देने के लिए इसे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के पास भेजा जाएगा। इसके बाद अडानी विल्मर का रुचि सोया के एसेट्स पर कंट्रोल होगा।
अडानी ने लगाई थी सबसे ऊंची बोली
अडानी विल्मर और बाबा रामदेव की पतंजलि कर्ज में डूबी रुचि सोया को खरीदने की दौड़ में शामिल थी। 6 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाकर अडानी सबसे बड़ी बिडर (एच1) के तौर पर सामने आई थी, जबकि पतंजलि ने लगभग 5700 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी।
पतंजलि ने अडानी की पात्रता पर थे उठाए सवाल
अडानी विल्मर के एच1 के तौर पर उभरने के बाद पतंजलि आयुर्वेद ने बिडिंग प्रोसेस में भाग लेने के लिए अडानी ग्रुप की पात्रता के संबंध में रुचि सोया के रिजॉल्युशन प्रोफेशनल (आरपी) से स्पष्टीकरण मांगा था। पतंजलि ने अडानी विल्मर को सबसे बड़ा बिडर घोषित करने के लिए आरपी द्वारा अपनाए गए पैरामीटर्स की जानकारी मांगी थी।
रुचि सोया पर है 12 हजार करोड़ रुपए का कर्जपतंजलि आयुर्वेद का इडिबल आॅयल रिफाइनिंग और पैकेजिंग के लिए रुचि सोया के साथ पहले से ही टाई-अप है। इन्सॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स का सामना कर रही इंदौर की रुचि सोया पर लगभग 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसे में स्टेट बैंक आॅफ इंडिया का सबसे ज्यादा 1822 करोड़ रुपए फंसा है। कंपनी के कई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स और न्यूट्रिलाए महाकोष, सनरिच, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड सहित कई लीडिंग ब्रांड हैं।