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बारिश कम मगर खरीफ बुआई की रफ्तार बरकरार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 12 2018 10:40AM | Updated Date: Aug 12 2018 10:41AM
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नई दिल्ली। कई क्षेत्रों में कम बारिश होने के बावजूद खरीफ फसल की बुआई ने अपनी गति बरकरार रखी है। हालांकि कमजोर मानसून के कारण अंतिम आंकड़ों पर अभी संशय है और किसान अधिक लाभदायक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि शनिवार को मानसून में 11 प्रतिशत की कमी रही, लेकिन अभी तक बारिश का वितरण काफी सही रहा है। इस कारण वर्ष 2017 और 2018 के बुआई रकबे के बीच का अंतर लगातार कम होता जा रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि अंतिम आंकड़ों में थोड़ा अंतर हो सकता है।
 
फसल बुआई की तस्वीर अगस्त माह के अंत तक स्पष्ट हो पाएगी। शनिवार को जारी केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया 2 सप्ताह तक सामान्य बारिश के बाद सौराष्ट्र क्षेत्र फिर से बारिश की कमी से जूझने लगा है। मध्य केरल के कई हिस्सों में तेज बारिश के चलते बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं, जिससे क्षेत्र में चाय, रबर और इलायची की बुआई प्रभावित हो रही है। कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि फरवरी तक 924.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर खरीफ फसल की बुआई हो चुकी थी, जो पिछले वर्ष की समान अवधि से 1.48 प्रतिशत कम है।
 
अभी तक 121.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर दालों की बुआई हो चुकी है, जो 105.3 लाख हेक्टेयर के औसतन क्षेत्रफल से अधिक है। हालांकि, यह पिछले वर्ष की समान अवधि तक हुई बुआई से 2.92 प्रतिशत कम है। इसका एक बड़ा कारण मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों का उड़द की जगह सोयाबीन की फसल बोना है। हालांकि तिलहन के मामले में बुआई रकबा पिछले साल से लगभग 5.27 प्रतिशत अधिक है। यह बढ़ोतरी मूलत: सोयाबीन के कारण रही है। कपास का रकबा भी पिछले वर्ष से 3.85 प्रतिशत कम है। 
 
केयर रेटिंग्स ने कहा खरीफ फसल के दौरान अभी तक हुई बुआई हर साल की बुआई के लगभग बराबर ही है। हालांकि पिछले वर्ष से तुलना करने पर यह रकबा थोड़ा कम है और 2017 में रिकॉर्ड पैदावार हुई थी। भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार अगस्त के पहले सप्ताह में दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से 33 प्रतिशत कम रहा। 
 
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