नई दिल्ली। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सुरक्षा के साथ खर्च कम करने और सेवा सुधार पर रेलवे का फोकस होने की बात कहते हुए सोमवार को संकेत दिए कि ट्रेनों के परिचालन में विशेषकर उत्तर भारत में होने वाली देरी से फिलहाल निजात मिलने की उम्मीद नहीं है। मौजूदा सरकार के शासन में रेल मंत्रालय की चार साल की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि रेलवे का प्रमुख फोकस इस समय सुरक्षा पर है। इसके लिए हर स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं और कोशिश है कि ये अधिक से अधिक ट्रेनों के कोचों में भी लगाए जायें। सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 में 118 ट्रेन हादसे हुए थे जिनकी संख्या 2017-18 में घटकर केवल 73 रह गई। ट्रेनों के देरी से पहुंचने के बारे में उन्होंने कहा कि सुरक्षा से संबंधित काम का बैकलॉग मौजूदा सरकार को विरासत में मिला है और उसे पूरा करने के कारण ट्रेनों के परिचालन में देरी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे सुरक्षा कोष से रेल लाइनों की मरम्मत का काम तेजी से हो रहा है। ट्रेनों का परिचालन समय पर करने और सिग्नल व्यवस्था को सुधारने के लिए भी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जायेगा।
ट्रेनों की देरी के बारे में पूछे गये एक अन्य प्रश्न के उत्तर में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कहा कि रेलवे का फोकस सुरक्षा पर है। पिछले 18 साल में ट्रेनों की संख्या लगभग दोगुना हो गयी है, लेकिन इस दौरान मूलभूत ढाँचों की मरम्मत एवं रखरखाव का काम नहीं किया गया। अब रेलवे मूलभूत ढाँचों को बनाने तथा उनकी दक्षता बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा सुरक्षा और मरम्मत के काम के लिए यात्रियों को कुछ तो कीमत चुकानी होगी। लेकिन, भविष्य में इसका फायदा दिखेगा।
गोयल ने कहा कि पिछली सरकारों के समय में ट्रेनों की बढ़ती संख्या के हिसाब से बुनियादी ढाँचों के लिए पैसा नहीं दिया गया जिससे इन ढाँचों पर बोझ बढ़ा और उनकी मरम्मत का काम पीछे रह गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 से 2014 के दौरान रेलवे में किये गये पूँजीगत निवेश की तुलना में मौजूदा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2019 तक यह निवेश ढाई गुणा होने की उम्मीद है।