नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच लाख करोड़ डॉलर के होने का अनुमान जताते हुये कहा कि इसके लिए देश को वैश्विकरण की चुनौतियों का सामना करके इसका लाभ उठाना होगा और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा। भारतीय उद्योग परिसंघ(सीआईआई) के वार्षिक सत्र में प्रभु ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ देशों द्वारा उठाये गये कदम से वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ है। लोग वैश्विकरण को लेकर सवाल करने लगे हैं और इसकी कई परिभाषायें भी अब सामने आ रही हैं। भारत को इस चुनौती का सामना करना होगा और इसे अवसर में बदलना होगा। भारत को अगुवाई करनी होगी और वैश्वीकरण का लाभ उठाना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत अफ्रीकी देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि ऐसे समझौते किये जा सकें, जिससे दोनों पक्षों को लाभ हो और कारोबारी रिश्ते मजबूत हों। उन्होंने मानकीकरण पर भी जोर दिया और बताया कि वाणिज्य मंत्रालय सभी उत्पादों के लिए मानक तय करने में जुटा है। श्री प्रभु ने कहा कि उत्पादों के निर्माण के बाद ही व्यापार होता है।। भारत को वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढाने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढानी होगी।
उनका मानना है कि भारत से वस्तु की अपेक्षा सेवा का निर्यात अधिक होगा लेकिन पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए विनिर्माण को भी बढावा देना होगा। सेवा क्षेत्र रोजगार सृजन करेगा। सरकार ने 12 सेवा क्षेत्रों के लिए 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जिला स्तर पर कारोबार सरलीकरण की दिशा में काम कर रहा है।