नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद दिव्यांगों के उपकरण पांच प्रतिशत महंगे हो गए हैं और उनके लिए काम करने वाले संगठनों तथा विभिन्न विशेषज्ञों ने इन उपकरणों से कर हटाने की मांग की है। उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा शनिवार को 'सुगम तथा सहायक प्रौद्योगिकी के माध्यम से दिव्यांगों के सशक्तीकरण' विषय पर आयोजित सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद दिव्यांगों के उपकरण पांच प्रतिशत महंगे हो गए हैं। डाइजी फोरम आॅफ इंडिया के अध्यक्ष दीपेंद्र मनोचा ने बताया कि जीएसटी से पहले इन उपकरणों पर कोई उत्पाद शुल्क या वैट नहीं था। जीएसटी में इन पर पाँच से 28 फीसदी तक कर लगाया गया था।
सरकार से कई दौर की बात के बाद अब इन सभी उपकरणों को पाँच फीसदी के स्लैब में रख दिया गया है। उन्होंने कहा सरकार ने कहा था कि इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलने के कारण कीमतें नहीं बढ़ेंगी। लेकिन, वास्तव में दाम पांच प्रतिशत तक बढ़े हैं। मनोचा ने कहा कि इन उपकरणों पर कर लगाने से गलत संदेश गया है। विडम्बना यह है कि एक तरफ सरकार दिव्यांगों के उत्पादों पर सब्सिडी देती है और दूसरी तरफ इन पर कर लगा रही है। दिव्यांग अधिकार विशेषज्ञ डोरोडी शर्मा ने बताया कि 15 से 59 साल की उम्र के देश के 73.8 प्रतिशत दिव्यांगों के पास रोजगार नहीं है जबकि 56 प्रतिशत दिव्यांग शिक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बिना सुगम्ता के दिव्यांगों को शिक्षित और कुशल नहीं बनाया जा सकेगा तथा ऐसा किए बिना उन्हें रोजगार नहीं मिल सकेगा।