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पूर्व RBI गवर्नर बोले- मैंने कभी नहीं किया था नोटबंदी का समर्थन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 4 2017 12:07PM | Updated Date: Sep 4 2017 12:09PM
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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पद छोड़ने के एक साल बाद नोटबंदी पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। राजन ने अपनी किताब में स्पष्ट किया है कि उन्होंने नोटबंदी का समर्थन नहीं किया था। उनका मानना था कि  इस फैसले से अल्पकाल में होने वाला नुकसान लंबी अवधि में इससे होने वाले फायदों पर भारी पड़ेगा। 

राजन ने अपनी नई किताब ‘आई डू व्हाट आई डू’ में इसका उल्लेख किया है। यह आरबीआई गवर्नर के तौर पर विभिन्न मुद्दों पर दिए गए उनके भाषणों का संग्रह है। किताब सरकार से उनके असहज रिश्तों और मतभेदों पर भी रोशनी डालती है। राजन ने स्पष्ट किया कि उनके कार्यकाल के दौरान कभी भी आरबीआई से नोटबंदी पर फैसला लेने को नहीं कहा गया। इस बयान से उन अटकलों पर भी विराम लग गया कि 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के चौंकाने वाली घोषणा के कई माह पहले ही बड़े नोटों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। 

शिकागो यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे हैं राजन

राजन ने 3 सितंबर 2016 को गवर्नर पद का कार्यकाल पूरा किया था और इस वक्त वह शिकागो यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ा रहे हैं। राजन ने कहा कि वह एक साल तक भारत से जुड़े विषयों पर नहीं बोले, क्योंकि वह अपने उत्तराधिकारी के जनता के साथ प्रारंभिक संवाद में दखल नहीं देना चाहते थे। उन्होंने खुलासा किया, फरवरी 2016 में सरकार ने नोटबंदी पर उनसे राय मांगी थी और उन्होंने मौखिक रूप में अपनी राय बता दी थी। 

बिना तैयारी नोटबंदी को लेकर किया आगाह 

आरबीआई ने नोट में नोटबंदी के पड़ने वाले प्रभावों, फायदों के बारे में बताया गया। साथ ही सरकार जिन उद्देश्यों को पूरा करना चाहती थी कि उनके वैकल्पिक रास्ते भी बताए गए। इसमें कहा गया कि अगर सरकार नफा-नुकसान पर गौर करने के बाद भी नोटबंदी पर आगे बढ़ना चाहती है तो उसके लिए समय और तैयारियों की जरूरत होगी। यह भी बताया कि बिना तैयारी के क्या नतीजा हो सकता है। 

असहमति के बावजूद आरबीआई ने नोट तैयार कराया

राजन के अनुसार, असहमति जताने के बाद उनसे इस मुद्दे पर नोट तैयार करने को कहा गया। आरबीआई ने नोट तैयार कर सरकार को सौंप दिया। इसके बाद सरकार ने निर्णय करने के लिए समिति बना दी। समिति में आरबीआई की ओर से करेंसी से जुड़े डिप्टी गवर्नर को शामिल किया गया। इसका मतलब संभवत: यह था कि राजन ने स्वयं इन बैठकों में हिस्सा नहीं लिया।

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