नई दिल्ली। देश का दिग्गज बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने निलंबित बैंक खातों में रखी राशि के संबंध में जानकारी देने से मना कर दिया है। इन खातों में उन ग्राहकों के ब्याज राशि रखी हुई है, जो धार्मिक कारणों के चलते इसका दावा नहीं करते हैं। एसबीआई ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इस संबंध में मांगी गई जानकारी में कहा कि वह इस तरह के डेटाबेस की जानकारी नहीं रखता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि सूचना बड़ी मात्रा में है और इसे निकालने में काफी समय लगेगा। एसबीआई ने आरटीआई आवेदन का जवाब देते हुए कहा, हम आरटीआई कानून की धारा 7 (9) के तहत आपके आवेदन में मांगी गई जानकारी देने से इनकार करते हैं, क्योंकि इसके लिए काफी बैंक संसाधन को इसमें लगाना होगा।
आरटीआई कानून का दिया हवाला
आरटीआई कानून के अंतर्गत आने वाली यह धारा ऐसी जानकारी देने को प्रतिबंधित करती है, जिसके लिए किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के काफी संसाधनों को इस्तेमाल करना पड़ रहा हो। या फिर वो ऐसी जानकारियां भी देने से मना कर सकता है, जो कि उक्त जानकारी के रिकॉर्ड की सुरक्षा एवं रखरखाव के लिए नुकसान पहुंचाने वाली हो।
आरबीआई के वर्ष 2005 के जर्नल में प्रकाशित एक आलेख के अनुसार, भारत में ब्याज के रूप में मिली हजारों करोड़ की राशि निलंबित खातों में रखी जाती है। अनुसंधानों से पता चलता है कि इस तरह की अच्छी खासी राशि बेकार पड़ी है, जिसका यदि सही तरह से इस्तेमाल किया जाए, तो उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर हो सकता है।