नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा कि सरकारी बैंकों के विनियामकीय पूंजी मानदंडों को पूरा करने और अर्थव्यवस्था को पूंजीगत सहायता प्रदान करने के लिए 1.80 लाख करोड़ रुपए की जरूरत है और सरकार अब तक इसमें 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर चुकी है।
वित्त मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान सदन में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पिछले दो वित्त वर्ष में 25-25 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में 10-10 हजार करोड़ रुपए के निवेश की योजना है। इसके लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि शेष 1.10 लाख करोड़ रुपए की पूंजी बैंक सरकार की हिस्सेदारी कम कर जुटा रहे हैं। इसके लिए अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) के माध्यम से और पात्र संस्थागत निवेशकों को शेयर जारी कर पूंजी जुटाई जाती है। हालांकि सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 52 फीसदी से कम करने की अनुमति नहीं दी गई है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी का लोन लेने वालों पर कोई असर नहीं हुआ है और वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में सकल कर्ज में 80 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों को पूरा सहयोग किया जा रहा है और निजी बैंक भी आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।