नई दिल्ली। आरबीआई के सबसे चर्चित गवर्नर रहे हैं 53 वर्षीय रघुराम राजन। कार्यकाल के दौरान राजन कभी वित्त मंत्री से विवाद, तो कभी स्वामी की टिप्पणी और कभी खुद के बयानों से सुर्खियों में रहे। रविवार को उनके कार्यकाल का आखिरी दिन था। हालांकि आधिकारिक तौर वे नए गवर्नर उर्जित पटेल को कार्यभार 6 सितंबर को सौंपेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद पर रघुराम राजन का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही इस केंद्रीय बैंक के अब तक के सबसे मुखर प्रमुख की विदाई हो गई है। अपने तीन साल के कार्यकाल में राजन नीतिगत मोर्चे पर अपनी नीतियों के साथ-साथ दूसरे मुद्दों पर अपनी बेबाक राय के कारण कई बार उतने ही विवादों में भी रहे।
यहां रहे पॉजिटिव...
- राजन ने आईडीएफसी और बंधन फाइनेंनशियल को बैंक खोलने की मंजूरी दी। आरबीआई की ओर से किसी बैंक को बीते दो दशक में यह मंजूरी दी गई थी।
- आरबीआई ने पेमेंट बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक खोलने के लए गाइडलाइंन जारी की। पेटीएम, एयरटेल मनी जैसे पेमेंट बैंक इसी पहल का नतीजा हैं।
- राजन ने जब सितंबर 2013 में कार्यभार संभाला तो देश में खुदरा महंगाई दर 9 फीसदी और थोक महंगाई दर 7 फीसदी के करीब थी। राजन ने ब्याज दरों पर अंकुश लगाकर महंगाई दर को कई वर्षों के निचले स्तर तक ला दिया।
- राजन के गवर्नर बनने से ठीक एक महीने पहले अगस्त 2013 में रुपए ने डॉलर के मुकाबले 68.35 का निचला स्तर छुआ। यह रुपए का अब तक का सबसे निचला स्तर था। राजन ने गवर्नर का पद संभालते ही रुपए को मजबूती देने के लिए एक स्पेशल विंडो शुरू की, जिसके जरिए देश में 3400 करोड़ डॉलर का इनफ्लो हुआ और रुपए को मजबूती मिली।
- राजन के कार्यकाल में पहली बार 40 साल की अवधि के सरकारी बॉन्ड जारी किए गए।
... और यहां निगेटिव
- राजन के कार्यकाल में आरबीआई का फोकस इंडस्ट्री की ग्रोथ से ज्यादा महंगाई पर काबू पाने पर रहा। इंडस्ट्री हमेशा आरबीआई सुस्त ग्रोथ के लिए आरबीआई की ऊंची दरों को जिम्मेदार मानती रही। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री से रघुराम राजन को हटाने की मांग यह कहकर की थी कि राजन ने जानबूझकर भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है।
- स्वामी ने राजन को आड़े हाथों लेते हुए यह ट्वीट किया था किसी राजन ने भारत के फाइनेंनशियल सिस्टम में एक टाईम बम लगा रखा है जो दिसंबर में फटेगा।
- जब देश में इंटॉलरेंस और टॉलरेंस की बहस चल रही थी तो राजन ने सहिष्णुता को इकोनॉमी के लिए जरूरी बता इसमें हिस्सा लिया। उस समय तमाम विशेषज्ञों ने यह कहा कि राजन देश की ट्रेजरी के कस्टोडियन हैं न कि राजनेता।
- मेरा नाम रघुराम राजन है और मैं वही करता हूं जो मुझे करना होता है। रिजर्व बैंक बाजार के लिए चीयरलीडर नहीं, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से बेहतर है कि रियल इस्टेट को कीमतें घटाने के लिए बोला जाए।
जाते-जाते सुना गए अपनी पीड़ा
हाल ही के वर्षों में किसी भी गवर्नर के लिए यह सबसे छोटा कार्यकाल रहा है। जाते-जाते उन्होंने कह भी दिया कि अधूरे काम को पूरा करने के लिए वे कुछ और समय तक इस पद पर बने रहना चाहते थे लेकिन इस विस्तार के बारे में केंद्र सरकार के साथ उनका समझौता नहीं हो सका। इसके साथ ही राजन ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में अपने आखिरी सार्वजनिक संबोधन में रिजर्व बैंक की स्वायत्ता बनाए रखने की वकालत की ताकि वह जरूरत पड़ने पर सरकार को ना कह सके।