चीन से बड़ी खबर आ रही है..चीन की सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों और सरकारी एजेंसियों को आदेश दिया है कि वो सरकारी काम के लिए एपल आईफोन का इस्तेमाल बंद कर दें। एपल के साथ-साथ उन्हें विदेशी ब्रांड्स का भी इस्तेमाल करने के लिए मना कर दिया गया है।वॉल स्ट्रीट जर्नल के हवाले से बताया गया है कि हाल के हफ्तों में सीनियर अधिकारियों की ओर से अपने कर्मचारियों को आदेश दिए गए थे कि वो काम के लिए एपल आईफोन और विदेशी कंपनियों के डिवाइस का यूज ना करें।यह प्रतिबंध अगले सप्ताह होने वाले एपल इवेंट से पहले लगाया गया है।
इस इवेंट में आईफोन के अगली सीरीज का फोन लॉन्च होना है। इसके अलावा चीन-अमेरिका के बीच टेंशन बढ़ने की वजह से चीन में काम करने वाली विदेशी कंपनियों के बीच चिंता पैदा हो सकती है। एपल ने इसी टेंशन को देखते हुए भारत में अपने प्रोडक्शन को विस्तारित किया है। धीरे-धीरे एपल अपने आपको चीन से समेटने की कोशिश में लगा हुआ है। यही वजह है कि चीन की ओर से इस तरह का फैसला लिया गया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में एपल के अलावा दूसरे फोन मेकर्स का नाम नहीं लिया गया। एपल और चीन के स्टेट काउंसिल इंफोर्मेशन ऑफिस ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। चीन हाल के वर्षों में डाटा सेफ्टी को लेकर काफी सतर्क हो गया है और उसने कंपनियों के लिए नए कानून और नियम लागू किए हैं। मई में, चीन की सरकार ने सरकारी कंपनियों टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता हासिल करें। ताकि अमेरिका टेक्नॉलाजी के मामले में टक्कर दी जा सके।
दोनों देशों के बीच तनाव की असल वजह अमेरिका की ओर से चिप इंडस्ट्री से चीन की मोनोपॉली को खत्म करने के प्रयास और चिप में यूज होने वाले कंपोनेंट को चीन तक ना पहुंचने देने के प्रयासों की वजह से बढ़ा है। वहीं दूसरी ओर चीन ने भी अमेरिकी एयरक्राफ्ट मेकर बोइंग और चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी के साथ कई अहम अमेरिकी कंपनियों के शिपमेंट्स पर रोक लगा दी है।
पिछले हफ्ते चीन की यात्रा के दौरान, अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने कहा था कि अमेरिकी कंपनियों ने उनसे शिकायत की थी कि चीन “अन इंवेस्टेबल” हो गया है। उन्होंने इशारों में कहा कि चीन में अमेरिकी कंपनियों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। छापे मारे जा रहे हैं और दूसरी तरह की कार्रवाईयां की जा रही हैं। जिसकी वजह से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश में कारोबार करना काफी रिस्की हो गया है।\
चीन की ओर से लगाया गया यह बैन उसी तरह का है जिस तरह से यूएस ने चीनी स्मार्टफोन मेकर हुआवेई और चीन के शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर लगाया है। चीन एपल के सबसे बड़े बाजारों में से एक है और यहां से कंपनी को उसके कुल रेवेन्यू का लगभग पांचवां हिस्सा आता है।