नई दिल्ली। मोटर व्हीकल संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पेश किया जा चुका है। इस बिल में केंद्र सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि दिव्यांगों को भी वाहन चलाने के लिए लाइसेंस चलाने की सुविधा को आसान बनाया जाए। हालांकि अभी तक लाइसेंस देने की शर्तों का खुलासा नहीं हुआ है। इससे पहले मई 2017 में हैदराबाद के ग्राफिक्स डिजाइनर अन्नप्रगदा मणिकांत को देश का पहला दिव्यांग लाइसेंस जारी हुआ था, जिसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश जारी कर बधिर लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने का आदेश दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था आदेश अभी तक मोटर वहीकल एक्ट में विभिन्न प्रकार के मानसिक दिक्कतों, दृष्टि से संबंधित बीमारियों और सीमित ड्राइविंग स्किल्स रखने वाले लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को बधिर लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने का आदेश दिया था। जिसके बाद मंत्रालय ने इसका अध्ययन करके अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की भी राय ली।
एम्स ने भी की थी सिफारिश एम्स ने सिफारिश की थी कि अगर व्यक्ति की नजर अच्छी है और वह स्वस्थ है, जो बधिर होना ड्राइविंग के लिए बड़ी समस्या नहीं है। जिसके बाद मंत्रालय ने 28 अक्टूबर 2016 को सभी राज्यों को सर्कुलर भेज कर बधिर लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की सलाह दी थी। मंत्रालय ने कहा था कि अगर वे सभी टेस्ट पास कर लेते हैं, तो उन्हें लाइसेंस जारी कर दिया जाए। लेकिन जानकारी के अभाव और सभी तरीके से गाइलाइंस न बने होने के कारण दिव्यांगों को लाइसेंस मिलने में दिक्कतें आ रही थीं।
लिखित के साथ प्रैक्टिकल टेस्ट पास करना जरूरी मौजूदा समय में जारी गाइडलाइंस के मुताबिक दिव्यांगों को ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिये लिखित के साथ प्रैक्टिकल टेस्ट भी पास करना पड़ता है। मौजूदा एक्ट के मुताबिक अगर कोई दिव्यांग अपनी सुविधा के लिए गाड़ी में कोई परिवर्तन करवाना चाहता है, तो आरटीओ से मंजूरी लेकर वाहन निर्माता से ही यह परिवर्तन करवाना पड़ता है और इस सर्टिफिकेट के आधार पर उसे ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है।
80 फीसदी दिव्यांग ड्राइवरों के पास लाइसेंस नहीं लेकिन नए संशोधित कानून के तहत अगर दिव्यांग अपनी सुविधा के लिए बाहर से भी गाड़ी में ऐसे परिवर्तन कराता है, तो भी इसे मान्य करार देते हुए ड्राइविंग टेस्ट में पास होने के बाद लाइसेंस जारी करना पड़ेगा। वहीं दिव्यांगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्र की गाइडलाइंस के बाद भी तकरीबन 80 फीसदी दिव्यांग ड्राइवरों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है।