नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के संग्रह में आई गिरावट से चिंतित कर अधिकारी कारोबारियों द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का अधिक लाभ उठाने वाले मामलों की जांच शुरू कर सकते हैं। बड़ी संख्या में राज्यों में जीएसटी संग्रह में गिरावट के कारणों की जांच के लिए जीएसटी परिषद ने एक मंत्री-समूह का गठन किया है। इस समूह की बैठक में आईटीसी के अधिक उपयोग का मुद्दा उठाया गया।
सूत्रों के अनुसार आदर्श स्थिति में इनपुट टैक्स् क्रेडिट से राजस्व का नुकसान नहीं होना चाहिए लेकिन इस बात की संभावना है कि कुछ निर्लज्ज किस्म के कारोबारी इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रहे हों। हो सकता है कि टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए वह नकली बिल बना रहे हों। मंत्री समूह की बैठक के दौरान यह बात रखी गई कि कुल जीएसटी देनदारी में से 80 प्रतिशत का निपटान इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए होता है। मात्र 20 प्रतिशत कर ही नकद रूप से जमा कराया जाता है।
चालू वित्त वर्ष में जीएसटी का औसत मासिक संग्रह 96,000 करोड़ रुपये रहा है। मौजूदा व्यवस्था में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों का आपूर्तिकर्ताओं द्वारा पहले चुकाए गए इनपुट कर से तत्काल सीधे मिलान किया जा सके। अभी यह मिलान आईटीसी का दावा हासिल कर लिए जाने के बाद जीएसटी नेटवर्क द्वारा जनित जीएसटीआर-2ए के आधार पर किया जाता है।मिलान में घट बढ़ निकलने के बाद कर अधिकारी कारोबार को नोटिस भेजते हैं।