बीजिंग। अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, दोनों देश एक-दूसरे के सामानों पर नया आयात शुल्क लगाने की तैयारी कर रहे हैं। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच जारी व्यापार युद्ध का यह ताजा मामला है।
अमेरिका 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है जबकि इसके जवाब में चीन की योजना 60 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने की है। इससे पहले इसी वर्ष दोनों देशों ने एक-दूसरे के 50 अरब डॉलर के सामानों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया था जिसके बाद से दोनों के बीच व्यापारिक जंग चल रही है।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गत सप्ताह एक बयान में कहा था कि अमेरिका, चीन के साथ बातचीत को सकारात्मक दिशा में ले जाने का इच्छुक है, लेकिन दोनों पक्षों की ओर से इस दिशा में अभी तक कोई कदम उठाया नहीं गया है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस व्यापार युद्ध से केवल चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि इस विवाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास रुक जायेगा।
यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत कब शुरू होगी। गत माह वाशिंगटन में हुयी बातचीत से भी कोई समाधान नहीं निकला है। अमेरिका ने गुरुवार को चीनी सेना के हथियार खरीदने के मामले को देखने वाले महत्वपूर्ण प्रकोष्ठ 'इक्यूपमेंट डेवलपमेंट डिपार्टमेंट' और उसके निदेशक ली शागंफु पर प्रतिबंध लगा दिया।
चीन ने की सैन्य वार्ता रद्द करने की घोषणा
चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से दोनों देशों के बीच कई अन्य मामलों को लेकर भी गतिरोध बना हुआ है। इससे पहले रविवार को चीन ने अमेरिका के साथ अगले सप्ताह होने वाली सैन्य वार्ता रद्द करने की घोषणा की। अमेरिका ने चीन के रूस से लड़ाकू विमान और मिसाइल खरीदने के कारण उसकी एक सैन्य एजेंसी को प्रतिबंधित कर दिया है जिससे नाराज होकर चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब किया और संयुक्त सैन्य वार्ता रद्द करने की घोषणा की।