बर्लिन। अमेरिका को 9/11 जैसे आतंकी हमलों से दहलाने वाले अल कायदा आतंकी ओसामा बिन लादेन की मौत के सात वर्ष बाद भी उससे जुड़ी खबरों का सिलसिला जारी है। अब जर्मन मीडिया की ओर से एक और चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। जर्मन मीडिया की मानें तो जर्मन सरकार लादेन के बॉडीगार्ड रहे एक व्यक्ति पर हर वर्ष बड़ी राशि खर्च कर रही है। इस व्यक्ति का नाम सामी ए है और यह ट्यूनीशिया का रहने वाला है। निश्चित तौर पर यह खबर जर्मनी के लोगों और वहां की सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है।
1997 से रह रहा जर्मनी में
सामी ने लादेन के लिए अफगानिस्तान में साल 2000 में काम किया था। 42 वर्ष का सामी साल 1997 से जर्मनी में रह रहा है और तब से ही उसे हर वर्ष कल्याणकारी योजनाओं के तहत हर माह करीब 1,429 डॉलर मिलते हैं। जर्मनी के मीडिया ने उसका पूरा नाम देश में प्राइवेसी नियमों की वजह से जारी नहीं किया है। सामी स्टूडेंट वीजा पर दो दशक पहले यहां आया था। कहा जाता है साल 2000 में उसने लादेन के कैंप में आतंकी प्रशिक्षण लिया था।
कोर्ट ने माना था बड़ा खतरा
साल 2005 में जर्मनी के डूससेलडोर्फ में एक ट्रायल के दौरान सामने आया था कि वह लादेन का बॉडीगार्ड है। ट्रायल के दौरान एक गवाह ने जज को बताया था कि सामी, लादेन के लिए काम करता था। सामी ने लादेन के साथ अपना किसी तरह का ताल्लुक होने से साफ इनकार कर दिया था। सामी की ओर से उसे साल 2006 में जर्मनी में शरण देने का अनुरोध किया गया, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया था। इसके बाद मिंस्टर की एक कोर्ट ने उसे पब्लिक सिक्योरिटी के लिए एक बड़ा खतरा माना।
आज भी चरमपंथियों के संपर्क में
जर्मन मीडिया की मानें तो सामी आज भी उसके कई इस्लामिक चरमपंथियों के साथ संपर्क है। सामी इस समय अपनी पत्?नी और चार बच्?चों के साथ बोकहम सिटी में रह रहा है जो वेस्टर्न जर्मनी में है। उसे रोजाना एक लोकल पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना होता है। उसकी शरण देने के अनुरोध को ठुकराने के बाद उसे ट्यूनीशिया प्रत्यर्पित नहीं किया गया था। ऐसा डर था कि उसे वहां पर टॉर्चर किया जा सकता है। ट्यूनीशिया और कुछ अरब देशों को प्रत्यर्पित किए गए अपराधियों के लिए खतरनाक देश माना जाता है। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टॉवर्स पर जिन दो प्लेन ने हमला किया था, माना जाता है कि उसे हाईजैक करने वाले आतंकियों में से तीन जर्मनी के थे। ये आतंकी अल-कायदा की हैम्बर्ग में मौजूद सेल के सदस्य थे।