नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बावजूद मोदी सरकार के सामने अब नई मुश्किल खड़ी हो गई है। केंद्रीय कर्मचारियों ने सैलेरी में 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी को छलावा बताते हुए इसे अब तक का सबसे ख़राब वेतन आयोग बता दिया है। साथ ही यूनियंस ने 48 साल में सबसे बड़ी हड़ताल पर जाने की धमकी भी दी है।
42 साल बाद सबसे बड़ी हड़ताल की चेतावनी
मिश्रा ने कहा कि हम इस वेतन आयोग की सिफारिश के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। इस हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे।
न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये करने की मांग
सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर बने नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा कहते हैं कि इस वेतन आयोग के खिलाफ हमने पहले ही आपत्ति जाहिर की थी। इसके बावजूद सरकार ने बिना बदलाव के ही इसे लागू कर दिया है।
क्या है मांग
केंद्रीय कर्मचारियों के नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा के मुताबिक उन्होंने वेतन आयोग की सिफारिशों पर पहले ही आपत्ति दर्ज करा दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने आपत्ति को दरकिनार करते ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को ज्यों का त्यों लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि इस वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है, जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है।
छलावा है 23 प्रतिशत वेतन वृद्धि
वेतन आयोग का विरोध कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि वेतन में तकनीकी रूप से सिर्फ 14 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी दिखा दी गई है। कर्मचारियों के मुताबिक 6ठे वेतन आयोग ने 52 और 5वें वेतन आयोग में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। उन्होंने कहा कि हमने नई पेंशन नीति को हटाकर पुरानी पेंशन नीति लागू करने और न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की मांग की थी।
हड़ताल हुई तो बढ़ेगी दिक्कतें
केंद्रीय कर्मचारियों के नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन ने घोषणा की है कि वो लोग वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। इस हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे. यह वर्ष 1974 के बाद पहली बार सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है।
1 जनवरी 2016 से लागू होंगी सिफारिशें
छठा वेतन आयोग 1 जनवरी, 2006 से लागू हुआ था और उम्मीद है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू होंगी और कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा। आमतौर पर राज्यों द्वारा भी कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाया जाता है। कहा जा रहा है कि नए वेतन ढांचे में सातवें वेतन आयोग ने छठे वेतन आयोग द्वारा शुरू की गई 'पे ग्रेड' व्यवस्था खत्म कर इसे वेतन के मैट्रिक्स (ढांचे) में शामिल कर दिया है और कर्मचारी का ओहदा अब ग्रेड पे की जगह नए ढांचे के वेतन से तय होगा।