नई दिल्ली। विश्व के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की दावेदारी मजबूत हो गई है। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी)में भारत की सदस्यता की दावेदारी का रूस ने भी समर्थन किया है। रूस ने कहा कि वह भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करेगा। वहीं, एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर समर्थन हासिल करने के लिए विदेश सचिव एस.जयशंकर ने चीन का दौरा किया, जो भारत को एनएसजी का सदस्य बनाए जाने का विरोध कर रहा है। जयशंकर का चीन दौरान दक्षिण कोरिया के सियोल में प्रस्तावित 48 सदस्यीय एनएसजी की बैठक से ठीक पहले हुआ।
चीन से बात करेगा रूस
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक इंटरव्यू में कहा कि वे चीन से भी यह पूछेंगे कि वह भारत की सदस्यता का विरोध क्यों कर रहा है। अंग्रेजी न्यूज चैनल इंडिया टुडे से बातचीत में पुतिन ने कहा कि एनएसजी देशों की 20 से 24 जून तक सिओल में होने वाली बैठक में वे इस मुद्दे को उठाएंगे।
विदेश मंत्रालय ने की पुष्टि
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, 'हां, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि विदेश सचिव ने 16-17 जून को अपने चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय विमर्श के लिए बीजिंग की यात्रा की। भारत की एनएसजी सदस्यता समेत सभी बड़े मुद्दों पर चर्चा की गई।' चीन इस प्रतिष्ठित क्लब की सदस्यता भारत को दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहा है। उसकी दलील है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
23-24 जून को होगी बैठक
एनएसजी की बैठक दक्षिण कोरिया के सियोल में 23-24 जून को होने वाली है, जिसमें एनएसजी की सदस्यता को लेकर भारत के साथ-साथ पाकिस्तान के आवेदन पर भी विचार होगा। भारत को एनएसजी की सदस्यता के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, मेक्सिको और स्विट्जरलैंड सहित अधिकांश देशों का समर्थन प्राप्त है।
भारत-अमेरिका के रिश्तों पर बोले पुतिन...
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती पर पुतिन ने कहा कि इससे रूस और भारत के रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ सकता। क्योंकि दोनों बहुत पुराने और अच्छे दोस्त हैं। भारत में सत्ताधारी और विपक्षी दल के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन रूस से रिश्तों पर दोनों सहमत हैं। हम इसका सम्मान करते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें मोदी की विदेश नीति को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। अमेरिका और भारत का करीब आना प्राकृतिक प्रतिक्रिया है।
ब्रिटेन ने भी किया समर्थन
बता दें कि भारत की एनएसजी में सदस्यता में केवल चीन ही अंड़गा लगा रहा है। पिछले दिनों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने भी भारत की सदस्यता का समर्थन किया था। इससे पहले अमेरिका, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत का समर्थन किया था।