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वैश्विक स्तर पर तेल के दाम बढ़े तो अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा दबाव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 5 2016 8:43PM | Updated Date: Jun 5 2016 8:43PM
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नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तेज की कीमतों में पिछले कुछ समय से दिख रही तेजी के बीच अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की बात कही है। वित्तमंत्री ने कहा है कि भारत तेल मूल्यों के मौजूदा स्तर से निपट सकता है, लेकिन अगर यह और ज्यादा महंगा होता है। तो इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और मुद्रास्फीति का दबाव बनेगा।

मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चा तेल सात महीने के उच्च स्तर 50 डालर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल एक डालर की वृद्धि पर देश का आयात खर्च 9,126 करोड़ रुपए (1.36 अरब डालर) बढ़ जाता है। साथ ही इससे सामान्य महंगाई का दबाव भी बढ़ता है।

अरुण जेटली ने सावधानी के साथ कहा, "कच्चे तेल की कीमतों का बढना निश्चित पूर से भारत के लिये अच्छी खबर नहीं है। लेकिन अगर यह दायरे में रही, जिस दायरे में यह अभी है, इससे निपटा जा सकता है। लेकिन अगर यह दायरे से बाहर जाता है, तब निश्चित रूप से मुश्किल पैदा होगी।"

पेट्रोल कीमतों में मार्च से अब तक पांच बार वृद्धि की जा चुकी है। कुल मिलाकर 8.99 रुपए प्रति लीटर और डीजल में 9.79 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अक्टूबर 2015 के बाद से बढ़कर पहली बार 50 डालर प्रति बैरल हो गयी।

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