26 Apr 2024, 15:04:29 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

आजाद हिंद फौज को लूटने वाले को नेहरू ने दिया था इनाम!

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 5 2016 10:04AM | Updated Date: Feb 5 2016 1:55PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के खजाने को लूटा गया था। लंबे वक्त से हो रहा यह दावा नेताजी से जुड़ी फाइलों के जरिए सही साबित होता दिख रहा है। हाल ही में सार्वजनिक हुई फाइलें बताती हैं कि खजाना लूटे जाने की बात नेहरू सरकार को पता थी। 1951 से 1955 के बीच टोक्यो और नई दिल्ली के बीच इस बारे में करस्पॉन्डेंस भी हुआ था। 

100 फाइलों में से एक फाइल नंबर- 25/4//NGO-Vol 3 में नेताजी के खजाने का जिक्र है। टॉप सीक्रेट फाइल्स के मुताबिक, खजाने से 7 लाख डॉलर की लूट हुई थी। इस बात का पहली बार जिक्र रिसर्चर अनुज धर ने अपनी किताब इंडियाज बिगेस्ट कवरअप में किया था। नैशनल आर्काइव की गोपनीय फाइलों से पता चलता है कि सरकारी अधिकारियों को नेता जी के दो पूर्व सहयोगियों पर शक था। उनमें से एक सहयोगी को सम्मान दिया गया और नेहरू की पंच वर्षीय योजना कार्यकम का पब्लिसिटी अडवाइजर बनाया गया।

21 मई, 1951 को तोक्यो मिशन के हेड के. के. चित्तूर ने राष्ट्रमंडल मामलों के सचिव बी. एन. भट्टाचार्य को सुभाष चंद्र बोस के दो सहयोगियों- प्रॉपेगैंडा मिनिस्टर एस. ए. अय्यर और तोक्यो में आजाद हिंद फौज के हेड मुंगा रामामूर्ति के बारे में संदेह जाहिर करते हुए लिखा, जैसा कि आपको बेशक पता होगा, इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के फंड के बेजा इस्तेमाल को लेकर रामामूर्ति के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। इसमें स्वर्गीय सुभाष चंद्र बोस की निजी संपत्ति शामिल है, इसमें ब़डी मात्रा में हीरे, जूलरी, सोना और अन्य कीमती चीजें हैं। यह सही हो या गलत लेकिन अय्यर का नाम भी इन आरोपों से जोडा जा रहा है। 
 
के. के. चित्तूर ने 20 अक्टूबर, 1951 को जापानी सरकार द्वारा मिशन को दी गई गोपनीय जानकारी के हवाले से लिखा, बोस के पास ब़डी मात्रा में गोल्ड जूलरी और कीमती रत्न थे लेकिन उस दुर्भाग्यपूर्ण फ्लाइट में उन्हें केवल दो सूटकेस के साथ यात्रा करने की इजाजत दी गई। तोक्यो मिशन के हेड की रिपोर्ट में लिखा गया गया है, रामामूर्ति और अय्यर ने जो चीजें हमें सुपुर्द की हैं, बोस के पास यकीनन उससे बहुत ज्यादा होगा। और यहां तक कि विमान हादसे से खजाने को हुए नुकसान के लिए मुआवजे से भी ज्यादा रहा होगा। 
 
रिपोर्ट कहती है कि नेता जी का खजाना उनके अपने वजन से भी ज्यादा था। रिपोर्ट में एक ऎसे व्यक्ति का भी जिक्र है, जिसने अय्यर के कमरे में नेता जी के खजाने का बक्सा देखा था और जिसे बक्से से कुछ चीजें खरीदनी भी थीं। लेकिन इसके बाद इन बक्सों का क्या हुआ, यह एक रहस्य ही है क्योंकि हमें अय्यर से 300 ग्राम सोना और 260 रूपये नकद मिला। एक नवंबर, 1955 को इस बारे में एक और गोपनीय रिपोर्ट विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के लिए तैयार की।
 
प्रधानमंत्री को इस मामले की हर बात शुरू से पता थी। रिपोर्ट का टाइटल था, आजाद हिंद का खजाना और मेसर्स अय्यर और रामामूर्ति द्वारा इसका इस्तेमाल। रिपोर्ट लिखने वाले आर. डी. साठे ने इस बात की पुष्टि की, जापान में अय्यर की गतिविधियां संदिग्ध थीं। साठे के लिखे नोट पर प्रधानमंत्री के दस्तखत थे और पांच नवंबर, 1951 की तारीख दर्ज है और विदेश सचिव की नोटिंग दर्ज है, प्रधानमंत्री ने नोट देखा है।
 
रामामूर्ति जापान में फलते-फूलते रहे और अय्यर को दिल्ली लौटने पर प्रधानमंत्री ने गर्मजोशी से स्वागत किया। आजाद हिंद फौज के खजाने की लूट में अय्यर का नाम होने के बावजूद नेहरू ने उन्हें 1953 पंच वर्षीय योजना कार्यक्रम का पब्लिसिटी अडवाइजर बना दिया। 

 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »