ढाका। बांग्लादेश में हिंसा बढ़ती जा रही है। छात्र बड़े स्तर पर देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। सुरक्षा बलों, प्रदर्शनकारियों और सरकार के समर्थकों के बीच शुक्रवार को हिंसक झड़प हो गई। हिंसा में करीब 39 लोगों की मौत हो गई। गुरुवार को हिंसा चरम पर पहुंच गई थी। राजधानी ढाका सहित अन्य शहरों में भीषण झड़प हुई। छात्रों ने देश भर में परिवहन नेटवर्क को बधित कर दिया। तमाम उथल-पुथल के कारण बांग्लादेश की संचार सेवाएं सबसे अधिक प्रभावित हुई। सरकार ने अशांति को रोकने के लिए इंटरनेट बंद कर दिया। सरकार ने फोन कनेक्टिविटी को भी सीमित कर दिया है।
हिंसा भड़कने का मुख्य कारण है- नौकरी में आरक्षण। छात्र आरक्षण पर रोक लगाना चाहते हैं। दरअसल, बांग्लादेश सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 30 प्रतिशत नौकरियां उन लोगों के लिए आरक्षित किया है, जिनके परिवार ने 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि सरकार की यह व्यवस्था भेदभाव बढ़ाती है। इसी के खिलाफ लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को मामले में सुनवाई करेगी।
हिंसा बढ़ती देख प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए अपील की। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से वादा किया कि उनकी समस्या को सुलझाने के लिए वे काम करेंगी। उन्होंने हिंसा की न्यायिक जांच करने और आरोपियों को सजा दिलाने का भी वादा किया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ-साथ अन्य वैश्विक नेताओं ने भी शांति बरतने की अपील की है। गुटेरेस ने प्रदर्शनकारियों को बातचीत के माध्यम से हल ढूंढने की सलाह दी है।
एक दिन पहले भारतीय उच्चायोग ने एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति के चलते बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग और छात्र यात्रा करने से बचें। वे अपने परिसर से बाहर न निकलें। बांग्लादेश में रह रहे लोगों के लिए भारतीय उच्चायोग ने आपातकालीन नंबर जारी किए हैं।