17 Apr 2024, 00:41:20 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

कश्मीर के सभी नेताओं को रिहा करो: माकपा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 23 2019 1:23AM | Updated Date: Aug 23 2019 1:23AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के मामले में भाजपा एवं संघ परिवार पर  ऐतिहासिक  तथ्यों के साथ तोड़-मरोड़ करने और दुष्प्रचार करने का आरोप लगाते हुए सभी राजनीतिक नेताओं को रिहा करने, शांति और संचार व्यवस्था तथा राज्य की स्वायत्तता बहाल करने की मांग की है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा  करात ने आज यहाँ ‘‘संविधान के साथ धोखा और कश्मीर के साथ विश्वासघात’’ नामक एक पुस्तिका जारी करते हुए यह बात कही। उनका आरोप था कि संघ परिवार ने हिन्दू राष्ट्र बनाने के अपने एजेंडे के तहत यह कार्रवाई की है। येचुरी ने कहा कि जब भारत आज़ाद हुआ था तब कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं था और तब महाराजा हरिसिंह ने लार्ड माउंटबेटन को पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने अभी फैसला नहीं किया है कि वह भारत या पाकिस्तान में किसके साथ विलय करेंगे। वह कुछ समय लेकर फैसला करेंगे लेकिन क्या यह संभव नहीं कि वह स्वतंत्र रहें और दोनों देशों से दोस्ताना संबंध बनाकर रखें लेकिन जब पाकिस्तान ने कश्मीर को अपने में मिलाने के लिए कबायलियों से हमला करवाया तो कश्मीर की जनता ने भारत के साथ रहने का फैसला किया और उनका लड़कर विरोध किया।

हरिसिंह ने तब माउंटबेटन को पत्र लिखकर भारतीय सेना की मदद मांगी और इस तरह 26 अक्टूबर 1947 को समझौते के साथ भारत में उसका  कुछ शर्तों के साथ विलय हुआ। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यह भी दुष्प्रचार किया कि पटेल कश्मीर को विशेष दर्जा देने के विरोध में थे जबकि पटेल के घर में ही 15 और 16 मई 1949 को बैठक हुई थी, जिसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि भाजपा एवं संघ परिवार ने इस मामले में दुष्प्रचार कर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और संसद से एक झटके में संविधान के अनुच्छेद 370 को एक झटके में हटा दिया जबकि संविधान के अनुच्छेद  के तहत किसी राज्य को पृथक करने के लिए वहाँ की विधानसभा से मंजूरी लेना जरूरी है लेकिन भाजपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से समर्थन वापस लेकर सरकार गिराई और फिर लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा  के चुनाव नहीं कराये ताकि बिना विधानसभा के ही राज्य को बांटकर उसे दो केन्द्रशासित क्षेत्र बना दिया जाये। उन्होंने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा केवल जम्मू-कश्मीर को नहीं बल्कि 10 राज्यों को  भी दिया  गया है, इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह दुष्प्रचार गलत है कि वहां जमीन खरीदने का अधिकार बाहरी लोगों को नहीं जबकि हिमाचल और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में जमीन खरीदने पर रोक है।

माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जो कुछ किया, वह गैर लोकतांत्रिक तो है ही, संविधान विरोधी एवं संघीय ढांचे के  भी खिलाफ है। इसलिए वहाँ स्वायत्तता बहाल हो एवं शांति स्थापित हो और सभी राजनीतिक नेताओं को रिहा किया जाए। वृंदा करात ने कहा कि कश्मीर के बारे में नेहरू मंत्रिमंडल  ने जो फैसला किया, उसके हिस्से श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे क्योंकि वह भी तब उस मंत्रिमंडल के सदस्य थे। उन्होंने कहा कि संघ के प्रजा परिषद् ने महाराजा हरि सिंह का समर्थन किया था और जम्मू-काशीर  को  सांप्रदायिक रूप से विभाजित करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भाजपा के दुष्प्रचार को रोकने के लिए यह पुस्तिका जारी की गयी है और आज से पार्टी ने इस दुष्प्रचार का जवाब में अभियान भी  शुरू किया है।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »