नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संचय को जरूरी बताते हुये मंगलवार को कहा कि जल संकट को गंभीरता से लेना होगा और उनकी सरकार ‘हर घर को जल’ मंत्र के साथ आगे बढ़ेगी। मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि पानी के महत्त्व को समझते हुये उनकी सरकार ने इस बार अलग से जलशक्ति मंत्रालय बनाया है। उन्होंने कहा,‘‘जल संकट को गंभीरता से लेना होगा। मैं सभी सांसदों और गैर-सरकारी संगठनों से अपील करता हूँ कि वे जल संचन को प्रोत्साहित करने के लिए काम करें।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी का संकट गरीबों और माताओं तथा बहनों को सबसे ज्यादा परेशान करता है।
उन्होंने कहा कि लोहिया जी अक्सर कहा करते थे कि देश में बहनों के सामने दो सबसे बड़ी समस्याएं हैं - पानी और पैखाना। मोदी ने कहा कि पैखाने की समस्या उनकी सरकार ने हल कर दी है और अब महिलाओं को शौच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता। अब ‘हर घर को जल’ का मंत्र लेकर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इसमें शत-प्रतिशत सफलता न मिले, लेकिन कम से कम उनकी सरकार ने इस काम को हाथ तो लगाया है। उन्होंने चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के भाषण में बाँधों के साथ बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर का जिक्र न होने पर भी कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा,‘‘अच्छा होता उन्होंने बाबा साहेब अम्बेडकर का नाम लिया होता।
पानी के संबंध में उन्होंने बहुत काम किया। पर एक ऊँचाई पर जाने से दिखना बंद हो जाता है।’’ सरदार सरोवर बाँध के निर्माण का श्रेय लेने की कांग्रेस की कोशिश को झूठ करार देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सही है कि इस बाँध की नींव 1961 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। लेकिन, दशकों तक परियोजना को मंजूरी नहीं मिली। बिना मंजूरी के ही शिलान्यास का पत्थर लगा दिया गया। आरंभ में जहाँ परियोजना की अनुमानित लागत छह हजार करोड़ रुपये थी, 1986-87 तक वह बढ़कर 60 से 70 हजार करोड़ रुपये तक पहुँच गयी। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2014 में 15 दिन के भीतर सरदार सरोवर बाँध की सारी मंजूरी दिलाई और बाँध का निर्माण पूरा हो सका। उन्होंने कहा कि इससे करीब चार करोड़ लोगों को आज पानी मिल रहा है।